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नलबाड़ी, असम। कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातनाध्ययन विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति, प्रो दीपक शर्मा को साहित्य अकादमी द्वारा उनकी प्रतिष्ठित कृति ‘भास्कर चरितम्’ के लिए पुरस्कृत किए जाने के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय परिवार की ओर से एक भव्य संवर्धन सभा का आयोजन किया गया।
इस गरिमामय समारोह की अध्यक्षता, विश्वविद्यालय के कुलपति, आचार्य प्रह्लाद रा. जोशी ने की। मंच पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव, डॉ. विकास भार्गव शर्मा, शैक्षणिक कुलसचिव प्रो. ज्योतिराज पाठक एवं परीक्षा नियंत्रक डॉ. रणजीत कुमार तिवारी उपस्थित रहे। वक्ताओं ने अपने सम्मान वाचन में उल्लेख किया कि प्रो. दीपक शर्मा को पहली बार अनुवाद ग्रंथ के लिए और दूसरी बार उनकी मौलिक रचना ‘भास्कर चरितम्’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह उपलब्धि न केवल विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है, बल्कि संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में उनकी विद्वत्ता का सजीव प्रमाण भी है।
समारोह में विश्वविद्यालय के साहित्य-संस्कृति विभाग के संकायाध्यक्ष डॉ. रातुल बुजरबरुवा, साहित्य विभाग के अध्यापक डॉ. कमल लोचन आत्रेय, राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. मदन चंद्र बोडो, कर्मचारी संघ के अध्यक्ष श्री राजकुमार ठाकुरिया सहित अनेक विद्वान, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। सभी ने अपने वक्तव्यों में प्रो. शर्मा के नेतृत्व में विश्वविद्यालय की अभूतपूर्व प्रगति की सराहना की और उनकी सृजनशीलता को विश्वविद्यालय की अमूल्य धरोहर बताया।
गौरतलब है कि प्रो. दीपक शर्मा कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति रहे हैं। अपने दस वर्षीय कार्यकाल में उन्होंने विश्वविद्यालय की आधारशिला को सुदृढ़ किया और शैक्षणिक उत्कृष्टता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। वर्तमान में वे गुवाहाटी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में अध्यापनरत हैं और संस्कृत साहित्य में अपनी मौलिक कृतियों के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा को समृद्ध कर रहे हैं। संवर्धना सभा में विश्वविद्यालय परिवार ने उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए आशा जताई कि उनकी विद्वत्ता और मार्गदर्शन से विश्वविद्यालय भविष्य में भी ज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा। समारोह का समापन प्रो. दीपक शर्मा के प्रति सम्मान और उनके उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना के साथ हुआ।