82 Views
वास्तव में पुराने फिल्मी गाने पटकथा तथा विषय पर आधारित होते थे जिसका अर्थ सपष्ट होता था,, सज्जन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है लेकिन खुदा के पास जाने का अर्थ यह नहीं है कि स्वर्ग में ही जाना है वो तो उसके कर्म पर निर्भर है.इस का अर्थ है कि मरना है.
संकटकाल में यदि झूठ बोला जाए किसी बेबस व्यक्ति को बचाने अथवा निरुपाय व्यक्ति यदि झूठ बोलने के बाद काम हो जाने पर उसका पश्चाताप करे तो शायद कुछ अपराध अक्षम्य हो सकतें है लेकिन बात बात पर झूठ बोलना उसी क्रम में नकार देना यह झूठे व्यक्ति की खासियत होती है उसका लाभ हानि से कोई कुछ नहीं लेना देना होता.गल्त संस्कारों के कारण दिनरात ऐसा करता है. इसका प्रभाव निश्चित रूप से भावी पीढ़ी पर पङता है क्योंकि उसका पाला सत्य से नहीं बल्कि असत्य से पङता रहा है.
ऐसे लोग अपना उल्लू शिद्ध करके खुश हो जाते हैं लेकिन यह नहीं मालूम कि अगला भी तो साधारण व्यक्ति हैं जो संकोच के कारण झूठ सुनता है जबकि उसे सबकुछ समझ आता है. धीरे धीरे ऐसे लोग कटी पतंग बन जाते हैं. एकाध अवगुण तो अगला व्यक्ति बर्दाश्त भी कर लेता है लेकिन इतने बोझ नही उठा सकता. : दीन ईमान सिद्धांत सत्य पर अडिग रहने वाले व्यक्ति को सफलता अवश्य मिलती है भले ही देर से लेकिन बगुला भक्त बनने का ढोंग करने वाला सबको अखरने लगता है. संस्कारी व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहते हैं अनावश्यक छिंटाकसी में वक्त बरबाद नहीं करते.अपने दामन पर किचङ का धब्बा लगाने से बचना आवश्यक है.
मदन सिंघल पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम मो 9435073653