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सप्तम दिवस नवरात्रा माँ कालरात्रि

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पावन दिवस नवरात्रा में माँ तेरा अभिनंदन
सप्तम दिवस माँ कालरात्रि को करते हैं वंदन ,
गले में तेरे सोहे माला हैं मोती चमकते
कालरात्रि रूप को तेरे हम नमन हैं करते ,
काली, महाकाली, भद्रकाली, रौद्री,भैरवी,
धुमोरना ,रुद्रानी, चामुंडा, दुर्गा और माँ चंडी,
निशुंभ शुम्भ दो भाई थे दानव बलवान
करके तप ब्रह्मा जी से था पाया वरदान,
दुष्ट दुराचारी दानव करते ऋषियों को परेशान,
करके अत्याचार ऋषि मुनि देव के हर लेते वो प्राण ,
देवों को सताकर दानवों ने मचाया हाहाकार
इंद्र को हरा स्वर्गलोक में भी किया अधिकार ,
देव ,दानव, मानव कोई न पाया इनको मार
बढ़ी दुष्टता हिंसा बढ़ी बढ़ने लगे इनके अत्याचार ,
आदिशक्ति ने स्वयं किया इन दानवों का संहार
हर्षित हुए देव इंद्र ..धरा पर किया माँ ने उपकार ,
दान ,यज्ञ,धर्म,दया,सेवा,क्षमा का होता जब जब नाश,
कौशकि बन होती प्रकट कालरात्रि करने राक्षस विनाश ,
मिलकर सभी करते कालात्री माँ को कोटि कोटि प्रणाम
सुबह शाम जय जय कालरात्रि माँ जग में गूंजे तेरा नाम ,
_सुषमा पारख
सिलचर ,असम

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