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समाजसेवा परमार्थ एवं सर्वहिताय हीरा अग्रवाल का जीवन लक्ष्य ( साक्षात्कार)

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हीरा अग्रवाल किसी परिचय का मोहताज नहीं अपनी करनी कथनी, मृदुल व्यवहार एवं सदाबहार मुस्कान से दुसरों के ताप एवं संताप का बखूबी से मुल्यांकन करके ताङ जाती है कि इनको क्या समस्या है। जिंदगी के थपेड़ों से जुझती हीरा कभी भी अपनी उंचाई को कम नहीं होने देती, चाहे अवसर प्रतिकूल हो अथवा अनुकूल।
 झारखंड राज्य के कोयलांचल की झरिया नगरी में श्री राम निवास अग्रवाल एवं श्रीमती कृष्णा देवी के घर में 7 अक्टूबर 1974 पितृ पक्ष की एकादशी को उनकी सातवीं संतान एवं छठी पुत्री का जन्म हुआ, नाम रखा गया हीरा। प्रारंभिक शिक्षा झरिया शहर के बालिका विद्या मंदिर विद्यालय में एवं स्नातकोत्तर तक राजा शिवप्रसाद कॉलेज झरिया में। स्कूल और कॉलेज  दोनों जगह हमेशा प्रथम या द्वितीय श्रेणी प्राप्त की। विभिन्न वाद विवाद प्रतियोगिताओं, कविता एवं भाषण लेखन प्रतियोगिता तथा नाटकों में सहभागी बनकर अव्वल स्थान प्राप्त किया। इंटरमीडिएट के बाद खुद के विद्यालय में शिक्षिका के पद पर कार्यभार संभाला। साथ-साथ अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर यानी पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। करने के बाद स्थानीय महिला महाविद्यालय में व्याख्याता के पद पर कार्यरत हुई। किंतु हिंदी विषय के लिए प्रेम सदैव अर्थशास्त्र से ऊपर ही रहा। रुचि- किताबें पढ़ना और दुनिया को तदनुसार ढालने के सपने देखना, घूमना फिरना और विभिन्न कार्यक्रमों में मंच संचालन। कविता  एवं आर्टिकल  लिखना।
21 जून 1999  को विनोद अग्रवाल के साथ विवाह हुआ तथा 21  अप्रैल 2000 में पुत्री नित्या का जन्म। दोनों का ही सदैव सहयोगी रवैया रहा। सन 2005 में  असम के शिलचर आगमन। गोलडिगी माल में इथनिक दी ब्युटिक लेडीज गारमेंट्स का व्यवसाय  कर रही हैं।
2021 एवं वर्तमान में अग्रवाल जागृति मंच की अध्यक्ष पद पर सुशोभित। लायंस क्लब आफ शिलचर अनंता की सक्रिय सदस्य। धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना ।
 स्पष्ट वक्ता, ना गलत कहना, ना गलत सुनना और सहना। यही मूल मंत्र है। अपनी स्व- मां एवं श्री प्रेमानंद महाराज से प्रभावित।
मध्य शहर में रेडीमेड लेडीज गारमेंट्स का काम करने के साथ साथ विभिन्न सामाजिक धार्मिक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों के शीर्ष पदों पर रहते हुए अपने सहयोगियों को सदैव धैर्य कर्तव्य एवं सदाचार का पाठ पढ़ाया है। उस समय हमारे का आतंक होने के कारण मुझे आंतरिक संघर्ष का सामना करना पड़ा। मारवाड़ी समुदाय की बेटियों को पढ़ने एवं नौकरी करने के लिए माँ बाप की मिन्नत एवं भयंकर जिद्द करने के कारण मैट्रिक एवं उच्च शिक्षा के साथ नौकरी की अनुमति मिली। हीरा के साथ उनकी बहने एवं अन्य लङकियाँ भी पढने लगी।
   शादी के बाद चावल के कारोबार में पति विनोद अग्रवाल को नुकसान हुआ तो बिना घबराये इन्होंने अध्यापन का काम बङी बहन एवं जीजाजी के सहयोग एवं समर्थन से किया। संघर्ष एवं आंशिक सफलता इनके जीवन में अनेक बार आये लेकिन झुके नहीं, रुके भी नहीं।
   इनकी इकलौती बेटी नित्या उच्च शिक्षा के साथ साथ नौकरी एवं अन्य कार्यों में दक्ष होने से स्वावलम्बी बन चूकी है।
   हीरा बेबाक कहती है कि कन्या को जन्म से जीवन भर संघर्ष जारी रखना चाहिए। चाहे तो दोनों कुटुंबों का तथा परिवार समाज एवं देश के बहुत कुछ कर सकती है।
   अद्भुत तरीके से शेरो शायरी एवं हास परिहास के साथ धारावाहिक रूप से मंच संचालन में माहिर हीरा को असम विश्व विद्यालय के उपकुलपति ने शाबाशी एवं आशीर्वाद प्रदान किया।
हीरा अग्रवाल का पता: श्रीमती हीरा अग्रवाल एथनिक दि बुटीक, जी 135 गोल दिघी मॉल शिलचर
मो 9435364609
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लेखक: मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653

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