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समाज और राज्य निर्माण में संघ की भूमिका निर्णायक — सागर शर्मा

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उधारबंद, कछार:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में रविवार को उधारबंद खंड में आयोजित विजया सम्मेलन के दौरान संघ के प्रचारक सागर शर्मा ने कहा कि समाज और राज्य के निर्माण में संघ की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना एक सुव्यवस्थित समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण के उद्देश्य से की गई थी, और बीते एक शताब्दी से यह संगठन उसी दिशा में निस्वार्थ भाव से कार्य कर रहा है।

श्री शर्मा ने अपने मुख्य भाषण में संघ संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार के संघर्षपूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनेक बाधाओं के बावजूद उन्होंने 1925 की विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता-पूर्व काल में संघ को सरकारी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा, फिर भी संगठन ने कभी अपना कार्य नहीं रोका।

उन्होंने कहा, “1975 के आपातकाल के दौरान जब संघ पर प्रतिबंध लगा और हजारों स्वयंसेवकों को जेल भेजा गया, तब भी संगठन ने अपने राष्ट्रनिर्माण के कार्य को भीतर से जारी रखा।”

प्रचारक शर्मा ने कहा कि वर्तमान में संघ की गतिविधियाँ दुनिया के 72 देशों में संचालित हो रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का प्रमुख उद्देश्य मातृभूमि की रक्षा और समाज में एकता का निर्माण है। उन्होंने आह्वान किया कि हिंदू समाज को सभी मतभेदों को भुलाकर एकजुट होकर राष्ट्र के हित में कार्य करना चाहिए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, प्रख्यात वक्ता हरिहर चक्रवर्ती ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चुपचाप, निस्वार्थ भाव से समाज के उत्थान में लगा हुआ है। उन्होंने संघ की तुलना सर्दियों की ओस से करते हुए कहा, “जैसे ओस हर पत्ती पर शांति और ताजगी का एहसास कराती है, वैसे ही संघ समाज में सौहार्द और अनुशासन का वातावरण बनाता है।”

श्री चक्रवर्ती ने अपने उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन और विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए हमें एकजुट होकर कार्य करना होगा।

कार्यक्रम में उधारबंद खंड कार्यवाह मुकुंद चक्रवर्ती ने आगामी गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आने वाले दिनों में ग्राम पंचायत स्तर पर गृह संपर्क अभियान और हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।

विजया सम्मेलन की शुरुआत श्री श्री कच्चा कांति माता मंदिर परिसर से निकाले गए भव्य शोभायात्रा से हुई, जो उधारबंद बस स्टैंड होते हुए पुनः मंदिर परिसर में संपन्न हुई। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने योगासन और व्यायाम का आकर्षक प्रदर्शन भी किया।

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