यह कैसा सत्संग ,
जहां सैकड़ों लोग ,
कुचल कर मर जायेँ ,
मृत्यु की भेंट चढ़ जायेँ ।
यह कैसा पाखंड ,
जहां चरण रज ,
कालरज अन्त्येष्टि बन जाये ,
सबकी सांस उखड़ जाये ।
यह कैसा कथा प्रवचन ,
‘भोले बाबा’ बन कर प्रवंचन ,
‘साकार विश्वहरि’ बन कर ,
गरीब वंचितों का शोषण ,
लेकर भोलेनाथ का सहारा ,
ठग रहा बेसहारा सर्वहारा ,
पुजवा रहा स्वयं को इस तरह ,
मानो धरा पर उतर आये ,
भोलानाथ बेसहारों का सहारा ।
हाथरस ,कैसे मिलेगा न्याय ,
बाबा पर अभी अभियोग भी नहीं लगा ,
यह मृतात्माओं के साथ सरासर अन्याय ,
ढोंगी पाखंडियों को खून का चस्का लग गया ।
भीड़भाड़ भगदड़ और मौत ,
यह कहानी बहुत है पुरानी ,
कुंभ, कुतुबमीनार, और कटरा ,
इडुक्की, पटना, प्रतापगढ़ ,
सब जगह कानाफूसी अफवाह,
भेड़ियाधसान कौआ कान ले गया आर्तनाद ,
एक का एक के ऊपर गिरना ,
अचानक मौत का पसरना ।
फिर सियासी मगरमच्छों का वहाँ जाना ,
राजनीतिक नक्राश्रु बहाना बनावटी सांत्वना देना ,
पर इस भगदड़ का कारगर समाधान ढूंड़ना ,
इन तथाकथित बाबाओं स्वयंभू भगवानों पर ,
नकेल लगाना ऐसा प्रयत्न करता कोई नजर न आता।
है कोई जो इस पाखंड को रोक सकें ,
भोली भाली जनता को ठगने से बचा सकें,
बेनकाब कर सके ,
अब किसी और मासूम की जान न जाये,
झूठ फरेब की इस दुकान को बंद करा सके ।
राजनय ऐसी व्यवस्था बना सकें ,
जहां ज्ञान विज्ञान के आलोक में ,
आस्था की अलख को कसा जा सके ,
कोई कभी पाखंड न रच सके ,
न कहीं हो भगदड़ न दृश्य वीभत्स मरघट ,
विज्ञान में विश्वास समाज ले ऐसी करवट ।