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शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की चार दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला व सह अभ्यास वर्ग का शुभारंभ
पूर्वोत्तर के लोगों ने भी लिया हिस्सा।
राँची, झारखंड। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का लक्ष्य देश की शिक्षा को नया विकल्प देना है। यह सिर्फ़ नारा नहीं है, न्यास कोई भी बात करता है वो पहले प्रत्यक्ष अनुभव करता है उसके बाद बोलता है और यही भारतीय पद्धति व परम्परा है। हमारा सौभाग्य है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 आयी जो देश का भविष्य बदलने वाली है। यह बात शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी ने सरला बिरला विश्वविद्यालय में आयोजित न्यास की राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला सह अभ्यास वर्ग के उद्घाटन सत्र में कार्यशाला की भूमिका रखते हुए कही। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को प्रतिपादित किया है। भारतीय ज्ञान परम्परा सुखमय जीवन जीने की सुंदर राह दिखाती है। प्रतिवर्ष होने वाली यह राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला को इस वर्ष अभ्यास वर्ग का स्वरूप दिया गया है। देशभर से आये कार्यकर्ताओं की इस चार दिवसीय कार्यशाला सह अभ्यास वर्ग में निश्चित रूप से सकारात्मक सहभागिता रहेगी जिसके पश्चात न्यास के देशव्यापी कार्य को गति मिलेगी। देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते शिक्षा नीति का पूर्ण क्रियान्वयन हमारा दायित्व है। सरकार और समाज दोनों के समन्वित प्रयासों से ही शिक्षा नीति का पूर्ण क्रियान्वयन संभव। न्यास एक बैनर नहीं न्यास एक विचार है। न्यास इस शिक्षा में हो रहे परिवर्तन का वाहक है और ऐसे सभी लोग जो इस कार्य में लगे हैं उन सभी का एक मंच भी है।स्वागत भाषण देते हुए सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गोपाल पाठक ने देशभर से आए शिक्षाविदों का राँची की पुण्य धरा पर स्वागत करते हुए कहा कि हमारा सौभाग्य है कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास कि यह कार्यशाला हमारे विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही है, निश्चित ही इस कार्यशाला में हुए मंथन से जो अमृत निकलेगा उससे भारत के शैक्षिक परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव की दिशा स्पष्ट होगी और सौभाग्य से जिसका अंश मात्र का श्रेय हमारे संस्थान को भी मिल पाएगा। मुख्य वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ पंकज मित्तल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सुचारू रूप से क्रियान्वयन करें हेतु न्यास प्रतिबद्ध है। न्यास देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, संस्थानों के साथ मिलकर शिक्षा में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में कार्य कर रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन केवल शिक्षण संस्थानों का ही नहीं है इसे पूर्ण रूप से क्रियान्वित करने हेतु समाज के प्रत्येक वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका है। उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद डॉ. प्रदीप वर्मा ने देशभर से आये कुलपतियों, निदेशकों एवं शिक्षाविदों का स्वागत करते हुए कहा कि इस अभ्यास वर्ग से निश्चित ही आप सभी को नई ऊर्जा प्राप्त होगी और आने वाले समय में आप दोगुनी गति से इस पुण्य कार्य में अपना योगदान देंगे। माननीय अतुल जी द्वारा बताया गया कि इस कार्यशाला में न्यास की कार्य पद्धति, कार्य शैली, विमर्श आदि पर विषय विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाएगा जो कि मैं समझता हूँ कार्यकर्ता विकास की प्रमुख धुरी है।कार्यशाला के विषय में जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक एवं सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रो. विजय सिंह ने बताया कि इस चार दिवसीय बैठक में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के कार्यों का अनुवर्तन व आगामी योजना पर चर्चा होगी। इस अभ्यास वर्ग हेतु देशभर के 35 से अधिक प्रांतों से 350 से अधिक प्रमुख कार्यकर्ता राँची आये हैं। जिसमें प्रमुख रूप से देश के 20 से अधिक विश्वविद्यालयों व केंद्रीय संस्थानों के कुलपति एवं निदेशक इस कार्यशाला में सहभागिता कर रहे हैं।वहीं इस कार्यशाला में उत्तर- पूर्व के प्रांतों से शिक्षाविदों एवं प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। असम से डॉ.कंदर्प सैकिया,डॉ. देवाशीष सैकिया आदि ,त्रिपुरा से प्रो.विनोद कुमार मिश्र, डॉ.कालीचरण झा,डॉ.आलोक कुमार पांडेय,कैलाश प्रधान आदि ,मेघालय से डॉ.तिमिर त्रिपाठी, डॉ.आलोक सिंह,डॉ.हरीश शुक्ला अरुणाचल प्रदेश से डॉ.अरुण कुमार पांडेय, डॉ.प्रीतिसुधा आदि ने हिस्सा लिया।