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समाचार एजेंसी नई दिल्ली 21 अक्टूबर: नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 8 शेड्यूल दवाओं की मैक्सिमम प्राइस को बढ़ाने का फैसला किया है। इन दवाओं का इस्तेमाल अस्थमा, TB, ग्लूकोमा के साथ कई अन्य बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है।
हेल्थ एंड फैमिली अफेयर मिनिस्ट्री ने बताया कि NPPA ने आठ दवाओं के ग्यारह शेड्यूल्ड फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमतों में उनकी मौजूदा मैक्सिमम प्राइसेस से 50% तक बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। इससे पहले NPPA ने 2019 और 2020 में 21 और 9 फॉर्मुलेशन दवाओं की कीमतों को 50% बढ़ाने का फैसला किया था।
इन दवाओं और फॉर्मूलेशन की कीमतों को सरकार ने रिवाइज किया है…
स्लो-हर्ट रेट के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एट्रोपिन इंजेक्शन (0.6 mg/ml)
TB के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला इंजेक्शन पाउडर स्ट्रेप्टोमाइसिन (750mg और 1000mg फॉर्मूलेशन)
अस्थमा की दवा साल्बुटामॉल की 2mg और 4mg की गोलियों और 5mg/ml की रेस्पिरेटर
ग्लूकोमा के उपचार में इस्तेमाल होने वाला पिलोकार्पिन 2% ड्रॉप
यूरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) के उपचार के लिए इस्तेमाल होने वाला सेफैड्रोक्सिल टैबलेट 500mg
थैलेसीमिया के उपचार के लिए डेफेरोक्सामाइन 500mg इंजेक्शन और 300mg की लिथियम टैबलेट।
सरकार बोली- दवा निर्माताओं के आवेदन पर फैसला
सरकार ने इन दवाओं की मैक्सिमम प्राइस में बढ़ोतरी पर कहा कि नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) को इन दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए मैन्यूफैक्चरर्स की ओर से लगातार आवेदन मिल रहे थे।
दवा कंपनियों की ओर से एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रेडिएंट्स (APIs) की कीमतों में बढ़ोतरी से दवाओं की लागत में बढ़ोतरी और एक्सचेंज रेट में बदलाव का हवाला दिया गया था।
मंत्रालय ने बताया कि कंपनियों ने कुछ दवाओं के अवेलेबिलिटी नहीं होने के चलते उन्हें बंद करने के लिए भी आवेदन दिया है। इसमें से अधिकतर दवाएं सस्ती हैं और देश के पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम्स के लिए फर्स्ट-लाइन उपचार के लिए उपयोग की जाती हैं।