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हाइलाकांदी, २२ जुलाई: “हम तीन साल से हर महीने पैसा जमा कर रहे थे, अब वे कह रहे हैं—बैंक बंद हो गया है! मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि हम जैसे आम लोगों द्वारा जमा किया गया पैसा इस तरह गायब हो जाएगा।”—सरसपुर के एक छोटे व्यापारी का गुस्सा फूट पड़ा।
सरसपुर में अचानक बंद हुए ‘एस्कार्ड’ नामक एक निजी वित्तीय संस्थान के खिलाफ आम ग्राहकों का गुस्सा फूट पड़ा है। यह बैंक लगभग तीन साल से इलाके में सक्रिय था। आम लोग बैंक एजेंटों के माध्यम से रोज़ाना या मासिक रूप से पैसा जमा करते थे। कुछ लोग व्यवसाय के मुनाफे से बचत करते थे, तो कुछ इस बचत को भविष्य की उम्मीद के तौर पर जमा करते थे। लेकिन अचानक उस बैंक की सारी गतिविधियाँ बंद हो गईं। शाखा कार्यालय बंद कर दिया गया, बैंक एजेंटों के मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दिए गए, और अधिकारी गायब हो गए। और तब से, ग्राहक एक बुरे सपने में जी रहे हैं।
ग्रामीण इलाकों के छोटे व्यापारियों से लेकर दिहाड़ी मज़दूरों और सेवानिवृत्त बुज़ुर्गों तक, हर किसी के मन में अब एक ही सवाल है: “मेरी बचत कहाँ है?”
आज (तारीख) सरसपुर बाज़ार में नाराज़ ग्राहकों ने विरोध प्रदर्शन किया। “हमारे पैसे वापस दो, एसकार्ड”, “संचय लूट नहीं होने देंगे” – पूरा बाज़ार नारों से गूंज उठा। हाथों में तख्तियाँ, चेहरे पर गुस्सा, आँखों में अनिश्चितता – यह तस्वीर आर्थिक मंदी का संकेत दे रही है।
प्रदर्शन में शामिल कई लोगों ने बताया कि उन्होंने इस बैंक में १-३लाख टका की बचत जमा की थी। कुछ का तो यह भी कहना है कि वे एजेंटों के ज़रिए रोज़ाना १००-५०० टका जमा करते थे। लेकिन अब कई लोगों को लगता है कि वह पैसा वापस मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा –
“मैं अपने बेटे की पढ़ाई के लिए पैसे जमा कर रहा था। अब सब कुछ खत्म हो गया! बैंक बंद है, कोई ऑफिस नहीं है, किसी को फ़ोन करने पर भी कोई नहीं मिलता। एजेंट भी भाग रहे हैं। हम जैसे आम लोग कहाँ जाएँगे?”प्रदर्शनकारियों ने ज़िला प्रशासन और राज्य सरकार से तत्काल जाँच कर दोषियों को सज़ा देने और पीड़ितों को पैसा वापस दिलाने की अपील की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से भी सीधे हस्तक्षेप की माँग की है।
इस घटना ने सारसपुर से आगे पूरे इलाके में दहशत फैला दी है।खासकर अनौपचारिक बैंकिंग व्यवस्था पर निर्भर लोगों में एक नया अविश्वास पैदा हो रहा है।
वैसे, राज्य में पहले भी कई फर्जी निवेश कंपनियों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। सरसपुर की इस घटना ने एक बार फिर उसी चलन की याद दिला दी है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस धोखाधड़ी के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है।
क्या आम लोगों का जमा पैसा उन्हें वापस मिलेगा?





















