शिलचर, 2 अगस्त:दूधपट्टी छठा खंड की रहने वाली सातवीं कक्षा की छात्रा यास्मिन बेगम मज़ूमदार जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। मलूग्राम गर्ल्स हाई स्कूल की छात्रा यास्मिन पिछले कई महीनों से गंभीर बीमारी से पीड़ित है और फिलहाल वह कोमा की स्थिति में बिस्तर पर पड़ी हुई है। इलाज के लिए तीन बार उसके मस्तिष्क की सर्जरी हो चुकी है, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। अब उसके परिवार और स्थानीय लोगों ने इलाज में हुई लापरवाही की आशंका जताते हुए निष्पक्ष जांच और मदद की गुहार लगाई है।
यास्मिन के पिता कबीर हुसैन चौधरी पेशे से ऑटो चालक हैं। उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर है। परिवार के अनुसार, करीब छह महीने पहले यास्मिन को अचानक सिर में तेज़ दर्द हुआ, जिसके बाद उसे इलाज के लिए पहले गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज (GMC) और फिर शिलचर के दो निजी अस्पतालों में ले जाया गया। डॉक्टरों के सुझाव पर तीन बार ऑपरेशन हुआ, लेकिन तीसरे ऑपरेशन के बाद यास्मिन कोमा में चली गई।
परिवार का कहना है कि डॉक्टर अब फिर से एक और ऑपरेशन की सलाह दे रहे हैं, लेकिन उनके पास न तो पैसे हैं और न ही अब कोई हिम्मत बची है। गांव वालों की मदद से पहले दो बार ऑपरेशन के लिए लगभग दो लाख रुपये जुटाए गए थे। लेकिन अब आर्थिक मदद के बिना आगे का इलाज कराना असंभव है।
यास्मिन के दादा अबुल हुसैन मजूमदार ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर इस दर्दनाक स्थिति को मीडिया के सामने रखा। उन्होंने चिकित्सा प्रणाली पर सवाल उठाते हुए डॉक्टरों से अपील की कि वे यास्मिन की जान बचाने के लिए मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं।
स्थानीय लोगों ने भी इलाज में लापरवाही की आशंका जताई है। कुछ ने तो यहां तक कहा है कि यह मामला भी जिरिबाम के उस चर्चित घटना जैसा हो सकता है, जिसमें एक व्यक्ति की संवेदनशील सर्जरी के बाद गंभीर दुष्परिणाम हुए थे।
अभी यह मामला समाज की संवेदनशीलता और चिकित्सा व्यवस्था की जिम्मेदारी पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। यास्मिन का परिवार और पूरा इलाका अब सरकार, प्रशासन और समाजसेवियों से मदद की आस लगाए बैठा है।




















