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सावधान: केक खाने से हो सकता है कैंसर, कर्नाटक में 235 केक के लिए गए सैंपल, दी चेतावनी

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बेंगलुरु. फास्ट फूड के जमाने में हर कोई बाहर की चीजें खाना पसंद करता है. खासकर केक और पेस्ट्री तो लोगों की फेवरेट होती है. बच्चे बड़े चाव से केक खाते हैं. मगर क्या आपने कभी सोचा होगा कि यही केक कैंसर का कारण बन सकता है? जी हां, कर्नाटक से ऐसी ही एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है. कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने केकों के सैंपल इक्_े किए हैं.

12 केकों में मिला आर्टिफिशियल रंग

कर्नाटक के राज्य फूड सेफ्टी एंड क्वालिटी डिपार्टमेंट ने लोकल बेकरियों के लिए सख्त चेतावनी जारी की है. केक बनाने के लिए बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल रंगों का इस्तेमाल हो रहा है. स्वास्थ्य अफसरों ने अपनी जांच में पाया कि 235 केक सैंपल्स में से 223 केक ही खाने लायक थे. वहीं 12 केकों के सैंपल में आर्टिफिशियल रंग जैसे एल्यूरा रेड, सनसेट येलो एफडीसीएफ, पोंसेउ 4आर और कारमोइसिन जैसे तत्वों का इस्तेमाल किया था. खासकर रेड वेलवेट और ब्लैक फॉरेस्ट केक में इनका उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है. इससे कैंसर का खतरा हो सकता है.

खाद्य सुरक्षा विभाग ने दी चेतावनी

खाद्य सुरक्षा के आयुक्त श्रीनिवास ने बेकरी प्रंबधन को केक में आर्टिफिशियल रंग और हानिकारक केमिकल्स न डालने की चेतावनी दी है. एफएसएसएआई के गाइडलाइन के अनुसार ज्यादातर 1 किलोग्राम केक में 100 एमजी फूड कलर ही होना चाहिए. खासकर एल्यूरा रेड, सनसेट येलो एफडीसीएफ, पोंसेउ 4आर और कारमोइसिन जैसे आर्टिफिशियल रंगों का 100 एमजी से ज्यादा इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.

पहले भी लगी थी पाबंदी

बता दें कि इससे पहले भी कर्नाटक में गोभी मंचूरियन, कॉटन कैंडी और कबाब पर पाबंदी लग चुकी है. इन चीजों में रोडामाइन बी मिलाने की शिकायत सामने आई थी. खाद्य सुरक्षा विभाग ने प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों पर 7 साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान तय किया है. इस पर पोस्ट शेयर करते हुए कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री ने एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा था कि यह आर्टिफिशियल युक्त चीजें खाने से कैंसर होने का खतरा है. इसलिए यह कार्रवाई की गई है.

क्या सचमुच होता है कैंसर?

गौरतलब है कि कैंडी, सॉफ्ट ड्रिंक और बेक्ड चीजों में आर्टिफिशियल रंगों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है. इनमें कार्सीजेनिक एजेंट्स पाए जाते हैं, जिससे कैंसर होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है. हालांकि इससे सचमुच कैंसर होता है या नहीं? इस पर अभी भी शोध चल रहा है. वहीं कई स्टडीज में इस बात की पुष्टि हो चुकी है.

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