मित्रों ! सदियाँ व्यतीत हो गयीं कोरे आश्वासनों के बल पर ! वास्तविक रूप से महापुरुषों की गंभीरता से ! साधु पुरूषों के प्रयत्नों से ! वैदिकीय संस्कृति एवं महर्षियों के पुण्य प्रयास से-“अभी भी हिन्दी हिन्दू और हिन्दुस्थान” जीवित है ! हमारे दृढ विश्वास ने,पूर्वजों के बलिदान ने,राजाओं से लेकर राजनैतिक दलों के प्रयास से ! भामाशाहों से लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रयास से जीवित है हम ! किन्तु ये निश्चित है कि जीवन रक्षक यंत्र(आइसीयू) पर प्रत्येक शताब्दी में कईयों बार किसी न किसी प्रान्त में-“हाय रे हिन्दी तेरी है बस यही कहानी ! आँचल में है दूध और आँखों में पानी”।
केरल,तमिलनाडु,महाराष्ट्र,गोवा,
मित्रों ! हमारे-“राजा” इस युगानुसार-“मुख्यमंत्री जी” अर्थात- “श्रीमान हेमन्तो बिस्वशर्मा जी” हैं ! हमारे यशस्वी प्रधानमन्त्री जी हैं ! एवं इनको इस पद पर आरूढ़ कराने वाली संस्था अर्थात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा आदरणीय-“श्री मोहन भागवत जी” भी हैं ! राजा-“प्रजापति,प्रजापिता अर्थात भगवान” होता है ! ऐसा वेदादि सद्ग्रन्थों में ऋषियों ने बताया है !? ऐसे चक्रवर्ती सम्राट अपनी प्रजा में पंथ,जाति,भाषा और राजनैतिक विसंगतियों के कारण भेदभाव नहीं करते ! हमारी संस्कृति एक है ! हम हिन्दुस्थानी हैं ! आदरणीय मुख्यमंत्री जी ! भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति-“हिन्दू” है ! ऐसा हमने अपने पूर्वजों,ऋषियों, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं,प्रधानमंत्री जी एवं आपसे भी सुना है ! हमने भगवा ध्वज को नमस्कार करते हुवे अपने बांये अर्थात ह्रदय पर दाहिने हांथ को रखकर हजारों हजार बार शपथ ली है ! मुख्यमंत्री जी ! आपने भी ली होगी कि-“नमस्ते सदा वत्सले हिन्दू भूमे,त्वया हिन्दू भूमे सुखम् वर्धितोऽहम”(यदि आप आयातित नहीं हैं तो) हम-आप इस शपथ को नही भूले ! किन्तु असम का शिक्षा विभाग इसे कैसे भूल गया ? क्या असमिया शिक्षा विभाग आपकी अवहेलना करता है ?
मित्रों ! हिन्दी विद्यालयों में विद्यार्थियों की कम उपस्थिति के आधार पर यदि इन विद्यालयों को बन्द करने की योजना है अर्थात प्रकारान्तर से असम शिक्षा विभाग की दृष्टि में मदरसों की शिक्षा एवं हिन्दी की शिक्षा समान रूप से चिन्हित की गयी ?
जिस प्रकार बांग्ला देश में हिन्दी को एक प्रकार से शत्रुभाषा माना गया ! क्या अब बराक उपत्यका में हिन्दी भी शत्रुभाषा के रूप में मानी जायेगी ?
हम हिन्दी भाषी लोग बंगलादेश के हैं अथवा म्यांमार के रोहिंग्या ? हम प्रवासी कैसे हैं ? मुख्यमंत्री जी ! हम भी असमिया हैं ! मित्रों ! हिन्दी भाषी समुदाय की आज बराक उपत्यका में वही स्थिति है जो बत्तीस दांतों के मध्य जीभ की होती है ! किन्तु जीभ को कुचलने की मंशा रखने वालों को ये भलीभांति स्मरण रखना चाहिए कि दांतों के गिरने का कम से कम बराक उपत्यका में समय आ चुका । यहाँ की सडकें,विद्युत और जल व्यवस्था ! शिक्षा,सरकारी चिकित्सा व्यवस्था,सरकारी भवनों के निर्माण,पुलों के निर्माण से लेकर कचरा व्यवस्था सबकुछ स्थानीय महान व्यक्तित्वों के आशिर्वाद से अपनी अन्तिम सांसे ले रही हैं ! सबकुछ जीर्ण-शीर्ण होता हुवा लिपे-पुतले खण्डहर की तरह ध्वस्त होता जा रहा है ! विकास के नाम पर बराक उपत्यका का विनाश हो रहा है !’किन्तु सत्तारूढ़ दल की परम हितैशी मातृ संस्था अपने विशाल राजकीय सुविधा सम्पन्न भवन में वातानुकूलित संसाधनों के साये में गहरी नींद में सो चुकी है ! मुझे इस बात का भय है कि जिस प्रकार महाराष्ट्र में-“मनसे एवं शिवसेना” की दादागिरी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चुप्पी ने महाराष्ट्र के साथ साथ राजस्थान, पंजाब, मणिपुर,केरल, तमिलनाडु से अपनी जमीन खो दी ! बिलकुल उसी प्रकार आयातित नेताओं की दमनकारी नीति का मौन समर्थन कर आने वाले कुछ ही वर्षों में समूचे पूर्वोत्तर से हिन्दु हिन्दी और हिन्दुस्थान का सफाया तो नहीं होगा ! किन्तु ये निश्चित है कि इनकी ये कार्यप्रणाली यहाँ से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,विश्व हिन्दू परिषद के साथ साथ भारतीय भ्रष्टाचार पार्टी का सफाया करने को बाध्य हो जायेगी।
मुझे आश्चर्य होता है कि आने वाले कल हमारे राजनैतिक जन प्रतिनिधि हिन्दी भाषी जनता के बीच किस मुख से जायेंगे ? भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है ! अर्बन का जल दो तीन दिन में एक बार आता है ! नगरपालिका का जल गटर का गन्दा पानी साथ लेकर आता है ! और-“जल कर” तीन सौ पैंसठ दिन का आता है। जिनके घरों में बिजली के पुराने मीटर लगे हैं उनकी मौज है ! किन्तु जिन्होंने अपनी इमानदारी के कारण अद्यतन मीटर लगवा लिये ! उनके घर बिल नहीं-“बील” हो गया ! गैस की पाइपलाइन बिछ गयी ! गलियों के अच्छे खासे ठीक-ठाक खडंजो को उखाड़ कर पहले स्वक्ष जल परियोजना की लाइन डालीं गयीं ! नया बजट आया ! वो सब खाकर,कागजों में नये खडंजो को बिछाकर फिर से गलियाँ खोद दी गयीं ! इसबार गैस पाइपलाइन बिछायी गयीं हैं ! कदाचित् नया बजट लाकर खड॔जो का मेकअप करने के उपरान्त पूरा पैसा खाने के उपरान्त ये लोग विज्ञापन देंगे कि देखो-देखो हमने कितना विकास किया है ! किन्तु आप विश्वास रखें पानी बीजली और पाइपलाइन में गैस न चुनाव के पहले आयेगी और न ही चुनाव के बाद आयेगी ! केवल चुनाव के आसपास आयेगी और फिर गधे के सर की सींग की तरह चली जायेगी। फिर आयेगी ! जरूर आयेगी ! विधानसभा चुनाव के समय आयेगी।
मित्रों ! आज उन्होंने हिन्दी भाषा की कक्षा छे से लेकर आठ तक अनिवार्यता समाप्त की है ! उसका स्थान विदेशी भाषा अंग्रेजी को दिया है ! अमर शहीद मंगल पांडे जी की मूर्ति स्थापना का कोई आश्वासन नहीं दिया ! हिन्दू मन्दिरों से दो सौ मीटर की दूरी तक बिकते मीट मछली की दुकानों पर कोई कार्रवाई नहीं की ! हिन्दी के एकमात्र हिन्दी दैनिक समाचार पत्र-प्रेरणा भारती” द्वारा अपने सभी मानकों को पूर्ण करने के उपरान्त भी विज्ञापन देना तो दूर की बात है अपने पुराने विज्ञापनों का भुगतान करना तक उपेक्षित कर दिया ! ये यही दर्शाता है कि हिन्दीभाषी समुदाय के जो दस बीस हितैषी है उनको येन केन प्रकारेण इतना प्रताड़ित किया जाये कि वे उनके सामने घुटने टेक दें जो कल तक- “कांग्रेस” का गुणगान करते थे ! जो कल तक कांग्रेसी थे ! अर्थात बीजेपी ने ऐसी गंगा खोज ली है जिसमें डुबकी तो औरंगजेब लगाता है किन्तु बाहर निकलने पर वह-“बीजेपी छाप हिन्दू” बन जाता है—“आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971″