सिलचर, 9 मार्च | विशेष संवाददाता
समस्त असम एनएचएम कर्मचारी संगठन के आह्वान पर सिलचर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) कर्मचारियों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी रही, जिससे सिलचर मेडिकल कॉलेज (SMCH) और एसएम देव सिविल अस्पताल सहित विभिन्न उपकेंद्रों पर स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गईं।
तीन सूत्री मांगों को लेकर जारी संघर्ष
एनएचएम कर्मचारियों ने अपनी तीन प्रमुख मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है—
- स्थायी रोजगार की गारंटी
- सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार समान वेतन
- स्थायी कर्मचारियों की तरह सभी लाभों की उपलब्धता
कर्मचारियों की पीड़ा: वर्षों की सेवा, लेकिन अब तक कोई स्थायी नियुक्ति नहीं
हड़ताली कर्मचारियों का कहना है कि वे 2005 में एनएचएम की शुरुआत से ही कार्यरत हैं, लेकिन अब तक स्थायी नियुक्ति नहीं मिली। बार-बार मांग उठाने के बावजूद सरकार ने उनकी अनदेखी की।
उन्होंने कहा,
“हम स्थायी कर्मचारियों के समान कार्य करते हैं, लेकिन वेतन और अन्य सुविधाओं में हमें भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। इसके बावजूद, हम जोखिम उठाकर मरीजों की सेवा करते आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की पूरी जिम्मेदारी हम पर है, लेकिन हमें सरकारी लाभों से वंचित रखा गया है।”
अस्पताल प्रशासन और मरीजों पर भारी असर
एसएम देव सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरूप कुमार पटुआ ने कहा कि हड़ताल के चलते अस्पताल प्रशासन और मरीजों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को चेतावनी दी कि अगर हड़ताल जारी रही, तो स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा जाएंगी।
राजनीतिक दलों का समर्थन, सरकार पर दबाव बढ़ा
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने एनएचएम कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन दिया है—
- कछार जिला कांग्रेस अध्यक्ष अभिजीत पाल ने कहा कि असम सरकार को जल्द से जल्द कर्मचारियों की मांगों को स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मुद्दे को स्वास्थ्य मंत्री और विपक्ष के नेता तक पहुंचाया जाएगा।
- तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव भी स्वास्थ्यकर्मियों से मिलने पहुंचीं और कहा,
“हम एनएचएम कर्मचारियों की मांगों का पूरा समर्थन करते हैं। यह अन्यायपूर्ण है कि वर्षों तक सेवा देने के बावजूद ये कर्मचारी स्थायी नहीं किए गए।”
मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से हस्तक्षेप की मांग
एनएचएम कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की और कहा कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे हड़ताल को और तेज करेंगे।
स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट गहराया
स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल के कारण अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं ठप हो गई हैं, मरीजों को इलाज में देरी हो रही है और प्रशासन को वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ रही है। यदि सरकार जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं लेती, तो यह संकट और गंभीर हो सकता है।