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सिलचर, 20 फरवरी:— महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा तथा लैंगिक भेदभाव के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए सिलचर में संबंधित हितधारकों की एक महत्वपूर्ण संयुक्त बैठक आयोजित की गई। बुधवार को जिला आयुक्त कार्यालय के नवनिर्मित बैठक कक्ष में “मिशन शक्ति” कार्यक्रम के तहत बैठक आयोजित की गई। इसका आयोजन संघटन संघ संकल्प-जिला महिला सशक्तिकरण केंद्र (कछार) द्वारा किया जाता है तथा यह महिला एवं बाल कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित होता है। इसके अतिरिक्त, यूनिसेफ के सहयोगी संगठन इंडिपेंडेंट थॉट और कछार जिला प्रशासन की सक्रिय भागीदारी इस बैठक को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
बैठक में बालिकाओं की सुरक्षा और शिक्षा के महत्व पर विशेष रूप से जोर दिया गया, क्योंकि इस वर्ष बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) पहल की 10वीं वर्षगांठ है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य ‘संबल’, ‘सामर्थ्य’ और ‘बीबीबीपी’ परियोजनाओं की प्रभावशीलता सुनिश्चित करना, बाल विवाह को रोकना, लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ लड़ाई और हर बालिका के लिए सुरक्षित वातावरण बनाना था।
बैठक के आरंभ में महिला एवं बाल कल्याण विभाग की प्रभारी अतिरिक्त जिला आयुक्त किमचिन लंघम ने अपने भाषण में विभिन्न सरकारी एवं निजी एजेंसियों के बीच समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने और बच्चों की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करना आवश्यक है और इसके लिए स्थानीय प्रशासन से लेकर समाज के सभी स्तरों की सक्रिय भूमिका की आवश्यकता है।
बैठक में जिला समाज कल्याण विभाग की प्रभारी पदाधिकारी सह सहायक आयुक्त अंजलि कुमारी तथा संकल्प की डीएमसी बनानी भट्टाचार्य ने मिशन शक्ति एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ परियोजना पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने परियोजनाओं की वर्तमान प्रगति, चल रहे मुद्दों और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। इसके अलावा, 181 (महिला हेल्पलाइन) और 1098 (बाल हेल्पलाइन) के प्रचार-प्रसार और प्रभावशीलता पर भी प्रकाश डाला गया, ताकि आपातकालीन स्थितियों में पीड़ितों को आसानी से मदद मिल सके।
बाल विवाह की रोकथाम पर चर्चा करते हुए यूनिसेफ से जुड़ी संस्था इंडिपेंडेंट थॉट के राज्य प्रबंधक राम किशोर महाबर ने कहा कि बाल विवाह समाज के लिए एक बड़ी समस्या है, जो लड़कियों का भविष्य बर्बाद कर देता है। उन्होंने कहा कि “मिशन शक्ति” और “बाल विवाह मुक्त भारत” कार्यक्रमों के अंतर्गत सभी हितधारकों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो और उनका उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित हो।
कानूनी संरक्षण के पहलू पर प्रकाश डालते हुए कछार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) की सचिव सलमा सुल्ताना ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (पीओएसएच) के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बाल दुर्व्यवहार, शोषण और जबरन विवाह जैसे अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आह्वान किया।
इस संयुक्त पहल ने जिला प्रशासन, कछार महिला एवं बाल कल्याण विभाग तथा यूनिसेफ सहयोगी संगठन इंडिपेंडेंट थॉट के संयुक्त प्रयासों को और मजबूत किया है। बैठक में प्रतिभागियों ने लड़कियों के लिए सुरक्षित, संरक्षित और गैर-भेदभावपूर्ण समाज बनाने के लिए अधिक प्रभावी नीतियों और प्रथाओं को लागू करने की आवश्यकता पर चर्चा की।
इस संयुक्त प्रयास से एक नए क्षितिज की शुरुआत हुई है, जहां हर बालिका का सशक्तिकरण सुनिश्चित होगा, उनके सपनों को साकार करने में कोई बाधा नहीं आएगी और एक उज्ज्वल भविष्य संभव होगा। जहां भेदभाव समाप्त होता है, वहीं सच्ची सशक्तिकरण की कहानी शुरू होती है।
यह खबर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सिलचर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में घोषित की गई।




















