सिलचर, 30 जनवरी (रानू दत्त की रिपोर्ट): राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि के अवसर पर गुरुवार को सिलचर में पारंपरिक 73वें गांधी मेला एवं प्रदर्शनी का भव्य शुभारंभ हुआ। इस आयोजन का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दक्षिण असम क्षेत्र के प्रमुख प्रचारक गौरंगा रॉय ने फीता काटकर किया।

इस अवसर पर आयोजित बैठक की अध्यक्षता कछार के जिला गवर्नर मृदुल यादव ने की, जिसमें गांधीजी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बैठक में गांधीजी के असहयोग आंदोलन और उनके विचारों पर चर्चा हुई।
गांधी मेला के उद्घाटन में कई गणमान्य शामिल
इस महत्वपूर्ण अवसर पर सिलचर विधायक दीपायन चक्रवर्ती, जिला भाजपा अध्यक्ष रूपम साहा, एपीडीसीएल के निदेशक नित्यभूषण डे, अव्रोजीत चक्रवर्ती, कांग्रेस नेता पार्थ रंजन चक्रवर्ती, कणाद पुरकायस्थ, समाजसेवी साधन पुरकायस्थ और रफीक चौधरी सहित कई प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं।
कांग्रेस का भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
गांधी मेला के उद्घाटन के तुरंत बाद, सिलचर जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी भी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। कांग्रेस नेताओं ने गांधीजी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की, लेकिन इसके बाद उन्होंने नगर निगम और विधायकों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
कांग्रेस की मुख्य मांगें:
- गांधी मेला के आयोजन में पारदर्शिता – कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मेले के संचालन का कार्यादेश सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को देने से दो दिन पहले दूसरे सबसे ऊंचे बोलीदाता को रद्द कर दिया गया, जिससे भ्रष्टाचार की आशंका पैदा होती है।
- कार्यादेश समझौते को सार्वजनिक किया जाए – कांग्रेस ने मांग की कि आयोजन से जुड़े सभी वित्तीय लेन-देन और कार्यादेश की शर्तों को जनता के सामने रखा जाए।
- नगर निगम कर्मियों और विधायकों के कथित भ्रष्टाचार को रोका जाए – कांग्रेस का आरोप है कि गांधी मेले को एक संस्था को सौंपने में अनियमितताएं हुई हैं और इस पर स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए।
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व सिलचर जिला कांग्रेस अध्यक्ष अभिजीत पाल, संजीव राय, रणधीर देबनाथ, सजल बनिक, महिला कांग्रेस अध्यक्ष बंदिता द्विवेदी राय और सूर्यकांत सरकार सहित कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने किया।
विधायक की प्रतिक्रिया
इस बीच, सिलचर विधायक दीपायन चक्रवर्ती ने कांग्रेस के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “गांधी मेला जनता के लिए है, और इसमें राजनीति करना अनुचित है। यदि कांग्रेस को कोई शिकायत है, तो उसे लोकतांत्रिक तरीके से समाधान की ओर बढ़ना चाहिए, न कि मंच पर विरोध प्रदर्शन कर जनता को गुमराह करना चाहिए।”
गांधी मेला – संस्कृति और विचारधारा का संगम
गांधी मेला सिलचर की एक ऐतिहासिक परंपरा है, जो हर साल हजारों लोगों को आकर्षित करता है। इस मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी, स्थानीय उत्पादों के स्टॉल और गांधीजी की विचारधारा पर चर्चा जैसी कई गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।
हालांकि इस बार राजनीतिक विवादों ने आयोजन की गरिमा पर असर डाला, लेकिन फिर भी मेला लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आयोजकों ने आश्वासन दिया कि वे गांधीजी के सिद्धांतों के अनुरूप पारदर्शिता बनाए रखते हुए आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न करेंगे।





















