गुवाहाटी, मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा सोमवार को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल परिसर में पहुंचे और 375 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे मातृ एवं शिशु अस्पताल विंग के निर्माण की प्रगति का जायजा लिया। यह विंग बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर को छोड़कर 8 मंजिलों का है। इसका कुल निर्माण क्षेत्र 56,840 वर्ग मीटर है। इसके बाद डॉ सरमा ने एक बैठक की अध्यक्षता की जिसमें स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और जीएमसीएच अधिकारियों ने भाग लिया। इसमें मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के रिक्त पदों को भरने, कर्मचारियों की भर्ती, क्षमता विस्तार आदि से संबंधित मामलों पर चर्चा की गई।
मीडिया कर्मियों से बात करते हुए मुख्यमंत्री डॉ सरमा ने कहा कि उनके दौरे का उद्देश्य जीएमसीएच के निर्माणाधीन “मातृ एवं शिशु विंग” के निर्माण की प्रगति को देखना और इसके फ्लोर-प्लान का प्रत्यक्ष विचार करना था। उन्होंने कहा कि जीएमसीएच में इलाज के लिए आने वाले रोगियों की बढ़ती संख्या के कारण मातृ एवं शिशु चिकित्सा मामलों के लिए पूरी तरह समर्पित विंग की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। डॉ सरमा ने कहा कि मातृ एवं शिशु अस्पताल, कार्यात्मक होने पर जीएमसीएच की क्षमता और दक्षता बढ़ाने में बहुत योगदान देगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृ एवं शिशु अस्पताल का लगभग 70 फ़ीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। शेष 30 फीसदी अप्रैल 2025 तक या उससे पहले पूरा होने की संभावना है। राज्य में एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली के महत्व के बारे में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य कैंसर संस्थान और जीएमसीएच का कार्डियोथोरेसिक और न्यूरोसाइंस केंद्र आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं को सभी के लिए सस्ती और सुलभ बनाने में बहुत योगदान दे रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि जीएमसीएच के सुपर-स्पेशियलिटी विभागों सहित विभिन्न विभागों को अपनी समर्पित इमारतें मिलनी शुरू हो गई हैं, इसलिए वर्तमान “मुख्य” इमारत में अंततः केवल तीन विभाग ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि इससे मरीजों की भीड़ कम होगी और मरीजों और आगंतुकों के बीच संक्रमण का प्रसार कम होगा। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को राज्य के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में रिक्त संकाय पदों को भरने की प्रक्रिया में तेजी लाने का भी निर्देश दिया। उन्होंने जीएमसीएच अधिकारियों को अपनी दैनिक ऊर्जा जरूरतों के लिए पारंपरिक बिजली से सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली में बदलाव करने की भी सलाह दी। इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा व अनुसंधान विभाग के आयुक्त एवं सचिव डॉ. सिद्धार्थ सिंह, जीएमसीएच के प्राचार्य डॉ अच्युत चंद्र बैश्य सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।