लखीपुर, 17 मई: भारत माता के वीर सपूत और असम के कछार जिले के लखीपुर क्षेत्र के निवासी कैप्टन खोगेन्द्र सिंह, एक ऐसा नाम जो भारतीय सेना में 37 वर्षों की निस्वार्थ सेवा और अद्वितीय पराक्रम का प्रतीक है। हाल ही में उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में चर्चा करते हुए अपनी वीरता की कहानी साझा की, जो आज भी देशवासियों के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।
कैप्टन सिंह ने बताया कि भारतीय सेना अब तकनीकी और सामरिक दृष्टि से कहीं अधिक मजबूत है। उन्होंने गर्व से कहा, “पाकिस्तान ही नहीं, जो कोई भी भारत की ओर आँख उठाएगा, उसे करारा जवाब मिलेगा। हम केवल सरहद की रक्षा नहीं करते, हम मातृभूमि के सम्मान की रक्षा करते हैं।”
भावनाओं से भरे हुए कैप्टन सिंह ने कहा, “सेना ने भले ही मुझे सेवा से निवृत्त कर दिया हो, लेकिन मेरा दिल आज भी देश के लिए धड़कता है। अगर फिर से बुलावा आया, तो मैं अपने वर्दी पहन कर फिर से सीमा पर जाने को तैयार हूँ। मैं उस पत्र का इंतजार कर रहा हूँ।”
अल-कायदा के खिलाफ साहसी अभियान
सेना में अपनी तैनाती के दौरान कैप्टन सिंह ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब और भारत-पाकिस्तान सीमा के विभिन्न संवेदनशील क्षेत्रों में डटकर सेवा दी। एक बार उनके दस्ते पर सीमा के निकट अल-कायदा आतंकवादियों ने हमला किया। इस हमले में एक जवान शहीद हो गया, लेकिन कैप्टन सिंह और उनकी टीम ने इसका साहसिक जवाब दिया।
पाँच आतंकवादी घायल हो गए और नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तानी क्षेत्र में भाग निकले। लेकिन कैप्टन सिंह पीछे हटने वालों में नहीं थे। उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ दुश्मन की सीमा में प्रवेश किया, आतंकवादियों का पीछा किया और उन्हें मार गिराया।
इस अभियान का एक ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक पहलू तब सामने आया, जब वे आतंकियों के कटे हुए सिर लेकर भारत लौटे – एक स्पष्ट संदेश कि भारत अपने वीर जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाने देता।
एक योद्धा का संदेश
कैप्टन खोगेन्द्र सिंह की यह कहानी केवल एक सैन्य अभियान की नहीं, बल्कि उस अदम्य जज़्बे की है जो हर भारतीय सैनिक के सीने में धड़कता है। उन्होंने बताया, “देश की सेवा करना सिर्फ वर्दी पहनने से नहीं होता, यह एक जीवन दर्शन है। आज भी मैं तैयार हूँ, अपने देश के लिए, अपने भाइयों के लिए।”
उनकी यह वीरगाथा न केवल असम को, बल्कि पूरे भारत को गर्व से भर देती है। यह समाचार उनके सम्मान और प्रेरणा का प्रतीक है – एक ऐसे सैनिक की कहानी, जो रिटायर होकर भी सीमा के लिए तैयार बैठा है।





















