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गायत्री परिवार के वरिष्ठ कथावाचक पंडित गिरधारी लाल शर्मा ने दिवंगत द्रोपदी शर्मा के निवास पर गरुड़ पुराण के आठवें अध्याय की कथा सुनाते हुए कहा कि मृतक का श्राद्ध पुत्र ना होने पर कोई भी कर सकता है जिससे मृतक आत्मा को शांति मिलती है. व्यास ने गरूड़ को राजा बबरूबाहन की कथा बहुत ही रोचक अंदाज में सुनाई.
विद्वान पंडित गिरधारी लाल शर्मा ने सुनाया कि दान हमेशा सुपात्र को ही देने से दाता एवं पाने वाले के हित में होता है अन्यथा कुपात्र को देने से अनर्थ होता है इसलिए आंख मूंदकर किसी को भी दान देना नहीं चाहिए.