नई दिल्ली. दिल्ली में बढ़ रहे वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अखबारों की खबरों को देखकर लगता है कि दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लागू नहीं किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है कि पटाखों को प्रतिबंधित क्यों नहीं किया गया?
दरअसल दिवाली के बाद से दिल्ली और एनसीआर की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है. प्रदूषण का स्तर बढ़ने से लोगों को आंखों में जलन व सांस लेने परेशानी शुरू हो गई है. कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 को पार कर गया है. जो गंभीर श्रेणी में बदलाव का संकेत है.
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दो दिसंबर 2016 में एमसी मेहता बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार विभिन्न वायु गुणवत्ता सूचकांक के तहत कार्यान्वयन के लिए ग्रैप तैयार किया गया. मौजूदा समय में ग्रैप लागू भी है. इसके तहत कई पाबंदियां लगाई गईं हैं. इसमें पटाखों पर प्रतिबंध भी शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार पर सख्त टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि पटाखों पर प्रतिबंध क्यों लागू नहीं किया गया? प्रतिबंध था तो पटाखे कैसे चलाए गए? कोर्ट ने सरकार से जल्द से जल्द जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
प्रदूषण पर सीजेआई ने भी जताई थी चिंता
सीजेआई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण उन्होंने सुबह की सैर करना बंद कर दिया है. उनके डॉक्टर ने उन्हें सुबह बाहर निकलने से बचने की सलाह दी है, क्योंकि सांस संबंधी बीमारियों से बचने के लिए घर के अंदर रहना ही बेहतर है. वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि का जिक्र करते चिंता जाहिर की थी.