यशवंत पांडेय, शिलचर 4 जून:
बराकघाटी के विशिष्ट शिक्षाविद, साहित्यकार और समाजसेवी श्री अशोक वर्मा की सहधर्मिणी श्रीमती अन्नपूर्णा देवी वर्मा का बृहस्पतिवार को सुबह इटखोला स्थित उनके निवास पर स्वर्गवास हो गया था। उनकी स्मृति में आज हिंदी भवन में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। शिलचर के वरिष्ठ नागरिक व समाजसेवी संतोष पटवा के अध्यक्षता में आयोजित सभा में दीप प्रज्वलन के पश्चात मंचासीन अतिथियों और उपस्थित सभी सदस्यों ने स्वर्गीय अन्नपूर्णा देवी वर्मा के चित्र पर पुष्प अर्पित करके उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रीमती कमला सोनार ने उनके स्मृति में मार्मिक गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए पत्रकार और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप कुमार ने कहा कि स्वर्गीय अन्नपूर्णा बर्मा ने समाज की उन्नति में अविस्मरणीय योगदान दिया है। अन्नपूर्णा जी हमारे बीच नहीं रही, उनके साथ जो रहते थे, शायद उनको भी आभास नही हुआ, अन्नपूर्णा जी चुपके से चली गई, सुबह 7 बजे जब हमे सूचना मिली हमे तो विश्वास नहीं हुआ की ऐसा कैसे हो सकता है? 30 तारीख की शाम को मेरी उनसे बात हुई थी, उन्होंने बताया की तबियत ठीक नहीं है , मुझे बोलीं की ’’बबुआ एकबार आ जैहा’’! 1 तारीख को मिलने जाते, उसके पहले सुबह 7 बजे ये खबर आ गई ! जब पहुंच के देखा तो लग ही नहीं रहा था की वे चली गई हैं , लगा कि शांति से सो रही है , उनके चेहरे में एक तेज था। उनसे मेरा संपर्क 27 वर्षों से था , जो स्नेह , ममता, आदर मुझे उनसे मिला है उसका मूल्यांकन नहीं हो सकता।
ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शास्त्री ने कहा कि उनको सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब अशोक वर्मा जी द्वारा किया जा रहा साहित्य का काम और बालार्क प्रकाशन दोनों पूर्ववत चलते रहे। हम सभी को मिलकर इस काम में वर्माजी जी के कंधे से कंधा मिलाकर चलना है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और समाजसेवी उदय शंकर गोस्वामी ने उनके अंतिम दिनों की याद करते हुए बताया कि 1 जून को डॉक्टरों के साथ उनके स्वास्थ्य को लेकर चर्चा होनी थी, इसके पहले ही वह चली गई। बराक चाय श्रमिक यूनियन के सचिव बाबुल नारायण कानू ने बताया कि उनके साथ बहुत ही घनिष्ट और पारिवारिक संपर्क था। अपनी नज़दीकियों के बारे में बताते हुए बाबूल नारायण कानू जी भावुक हो गए।
डॉ रीता सिंह, संजीव राय, श्रीमती बिंदु सिंह, जुगल किशोर त्रिपाठी, श्रीमती सीमा कुमार, योगेश दुबे, विष्णु शंकर वर्मा, राजू बर्मा व श्रीमती सीमा स्वर्णकार आदि ने अपने वक्तव्य में उनके जीवन की चर्चा करते हुए उन्हें अद्भुत व्यक्तित्व का बताया। किसी ने उन्हें सुयोग्य शिक्षिका, तो किसी ने श्रेष्ठ साहित्यकार, किसी ने उच्च विचारों वाली सामाजिक महिला, तो किसी ने योग्य पत्नी बताया। सभी ने उनके व्यक्तित्व को प्रेरणादायी बताया। सभा में कई बार वातावरण बहुत भारी हो गया। कई वक्ताओं ने रूंधे गले से अपने विचार व्यक्त किए। सब का यही कहना था जो भी उनसे मिलता था, उनका हो जाता था। सबको उत्साह देने वाली जीवंत महिला थी। अपने काम के प्रति समर्पित और अनुशासित जीवन उन्होंने जिया।
सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक कंचन सिंह ने हिंदी भवन में उनका एक चित्र लगाने का प्रस्ताव दिया ताकि आने वाली पीढ़ी उनको देखकर उनसे प्रेरणा ले सकें, उनके प्रस्ताव का सभी ने समर्थन किया। बाबूल नारायण कानू जी ने सभा में सूचित किया कि उनकी स्मृति में एक स्मारिका प्रकाशित की जाएगी, जिनकी लिखने की रूचि हो, हिंदी बांग्ला और अंग्रेजी में उनके बारे में अपने विचार उनके पास दे सकते हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट व्यक्तियों में राजेंद्र पांडेय, मदन सिंघल, श्रीमती फूलमती कलवार, श्रीमती उर्मिला कानू, पुष्पावती राय, डॉ मंजरी वर्मा, श्रीमती कल्पना सिंह, श्रीमती राजकुमारी मिश्रा, हरीश काबरा, श्रीमती रुपाली कोइरी, प्रमोद जायसवाल, जयप्रकाश गुप्ता, प्रमोद शाह, चंद्रशेखर ग्वाला, रितेश नुनिया, जसवंत पांडेय व मीरा नुनिया आदि उपस्थित थे।