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सेना ने की अग्निपथ योजना की समीक्षा, अग्निवीरों के लिए की ये सिफारिशें, एनडीए सहयोगियों ने जताई थी चिंता

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नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट आने के बाद एनडी की सहयोगी पार्टी जेडीयू और लोजपा (राम विलास) ने अग्निपथ योजना को लेकर चिंता जताई है. इन्होंने सरकार से योजना की समीक्षा करने का आह्वान किया है. इन चिंताओं के बीच भारतीय सेना ने अग्निपथ योजना की समीक्षा की है. सेना के इस प्रयास का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अग्निवीरों को शामिल करने में समस्याएं न आएं और परिचालन दक्षता बनी रहे.

रक्षा एवं सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार सैन्य बल और रक्षा मंत्रालय द्वारा अग्निपथ योजना की उपयोगिता का आकलन किया जा रहा है. भारतीय सेना ने अग्निपथ योजना को और बेहतर करने के लिए कुछ सिफारिशें दी हैं. सेना ने कहा है कि 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद अग्निवीरों को नियमित सेवा में शामिल करने का प्रतिशत मौजूदा 25त्न से बढ़ाकर 60-70 प्रतिशत किया जाए. सेवा अवधि को 4 साल से बढ़ाकर 7-8 साल किया जाए.

अग्निपथ योजना को लेकर भारतीय सेना द्वारा की गईं सिफारिशें

तकनीकी क्षेत्र में अग्निवीरों के लिए प्रवेश आयु बढ़ाकर 23 साल की जाए. प्रशिक्षण के दौरान विकलांगता के लिए अनुग्रह राशि स्वीकृत की जाए. एक पेशेवर एजेंसी के तहत निकास प्रबंधन किया जाए. अगर किसी अग्निवीर की मौत युद्ध में होती है तो उसके परिवार को निर्वाह भत्ता दिया जाए.

पेंशन बिल कम करने के लिए शुरू की गई थी अग्निपथ योजना

दरअसल, सरकार ने अग्निपथ योजना पेंशन बिल कम करने और सेनाओं में युवाओं की भर्ती बढ़ाने के लिए शुरू की थी. अग्निपथ योजना से भर्ती के बाद ट्रेनिंग की कमी की चिंता बढ़ गई है. नए भर्ती हुए जवानों में अनुभवहीनता और विशेषज्ञता की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है.

सूत्रों के अनुसार अग्निपथ योजना से भर्ती रुकने पर भारतीय सेना को अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा. इसके चलते स्वीकृत संख्या तक पहुंचने में एक दशक से अधिक समय लग सकता है. इसके चलते जवानों को तेजी से भर्ती करने और उन्हें पूरी ट्रेनिंग देने के लिए अग्निपथ योजना में सुधार का सुझाव दिया गया है. इससे पेंशन बिल कम करते हुए परिचालन क्षमताओं से समझौता किए बिना युवा बल प्रोफाइल बनाने में मदद मिलेगी.

सूत्र ने कहा, थोड़े से बदलाव से अनुभव का मुद्दा हल हो सकता है. पुरानी भर्ती योजना के तहत भर्ती किए गए कर्मी आमतौर पर 35 साल की उम्र में रिटायर हो जाते थे. जिन लोगों को सूबेदार मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया वे 52 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हुए. वे अनुभवी थे और हर ऑपरेशनल कौशल और ड्रिल में पूरी तरह प्रशिक्षित थे.

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