काबुगंज से रिपोर्ट: बराक घाटी के कई प्रमुख पुल पिछले एक वर्ष में या तो जर्जर हो चुके हैं या पूरी तरह से उपयोग के अयोग्य हो गए हैं। इनमें मिजोरम से संपर्क जोड़ने वाले भागा–सेरखान मार्ग का भागाबाजार पुल, मेघालय से जुड़ने वाला हरंग पुल, और गैमन पुल प्रमुख हैं। अब इसी सूची में जुड़ गया है सोनाई के पूर्वांचल को जोड़ने वाला हाथीखाल पुल, जो वर्तमान में गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि भारत माला परियोजना के कार्यों में उपयोग होने वाले अत्यधिक भार वाले पत्थर लदे डंपर लगातार इस पुल से गुजर रहे हैं, जिससे पुल की रेलिंग और संरचना में दरारें पड़ गई हैं। इससे पूरे क्षेत्र में भय और चिंता का माहौल व्याप्त है।

सोमवार की शाम स्थानीय निवासियों ने सैकड़ों टन पत्थर लदे कई डंपरों को रोक दिया। चेतावनी देने के बाद वाहनों को इस शर्त पर छोड़ा गया कि भविष्य में वे इस मार्ग का उपयोग नहीं करेंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी निर्देशों की अवहेलना करते हुए, काबुगंज–कचुदरम पब्लिक वर्क्स रोड पर लगातार 40–50 टन तक भार वाले ट्रक चलाए जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप न केवल पुल की संरचना कमजोर हो रही है, बल्कि आसपास के गांवों की छोटी सड़कों को भी भारी क्षति पहुंच रही है।
लोगों ने शिकायत की कि लोक निर्माण विभाग (PWD) अब तक पुल की मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो पुल के ध्वस्त होने की संभावना से पूर्व सोनाई का संपर्क पूरी तरह से टूट जाएगा।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक नहीं लगाई गई, तो वे वृहत्तर आंदोलन शुरू करने को मजबूर होंगे।
(प्रेरणा भारती दैनिक के लिए विशेष रिपोर्ट – काबुगंज)





















