सिलचर, 8 मार्च | रानू दत्ता की रिपोर्ट – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, बराक नागरिक संसद की पहल पर सिलचर प्रेस क्लब में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें महिलाओं के अधिकारों और समानता की जरूरत पर बल दिया गया। इस मौके पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली चार प्रतिष्ठित महिलाओं—सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षाविद् सुचित्रा देव, कछार जिला परिषद की पूर्व उपाध्यक्ष लवली चक्रवर्ती, शिक्षाविद्, उद्यमी एवं साउथ पॉइंट स्कूल की प्रधानाध्यापिका कृष्णा डे, और सामाजिक कार्यकर्ता एवं राजनीतिक हस्ती मधुमिता पाल को “महिला गरिमा सम्मान पदक” से सम्मानित किया गया।
महिलाओं के अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष आवश्यक
कार्यक्रम में उपस्थित बुद्धिजीवियों और समाजसेवियों ने एकमत से कहा कि महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए केवल एक दिन का उत्सव पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह निरंतर चलने वाला आंदोलन होना चाहिए।
कवि, पत्रकार और विचारक अतिन दास ने कहा,
“स्त्री और पुरुष की पहचान केवल ‘मनुष्य’ के रूप में होनी चाहिए। लेकिन आज भी कई देशों में महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। महिलाओं के अधिकारों की रक्षा केवल एक औपचारिकता नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह एक सतत संकल्प बनना चाहिए।”
सिटीजन्स असेंबली के मुख्य सचिव शंकर दे ने सामाजिक और धार्मिक पाबंदियों का जिक्र करते हुए कहा कि कई देशों में आज भी महिलाओं की स्वतंत्रता सीमित है। उन्होंने कहा,
“महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता की राह में कोई भी धार्मिक या सामाजिक परंपरा बाधा नहीं बननी चाहिए। इन बाधाओं को खत्म करने के लिए समाज के प्रबुद्ध वर्ग को एकजुट होकर प्रभावी कानून बनाने की जरूरत है।”
महिला सुरक्षा और न्याय पर विचार-विमर्श
प्रोफेसर सुब्रत देव ने महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों पर चिंता जताते हुए कहा,
“जब तक महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी, तब तक कोई भी समाज रहने योग्य नहीं हो सकता। हमें महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।”
राजनीतिक हस्ती और सामाजिक कार्यकर्ता सुब्रत चक्रवर्ती ने महिलाओं के शोषण और पितृसत्तात्मक मानसिकता पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा,
“एक ओर महिलाओं को खतरे में डालने वाली मानसिकता है, तो दूसरी ओर उन्हें वस्तु के रूप में देखने की प्रवृत्ति भी गहरी है। दुख की बात यह है कि कई बार महिलाएं ही अन्य महिलाओं के खिलाफ खड़ी हो जाती हैं। हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है।”
कार्यक्रम के दौरान, राजनीतिक हस्ती नवीना सुल्ताना मजूमदार, कवि एवं लेखक देवलिना रॉय, सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति गुप्ता, पत्रकार चयन भट्टाचार्य, राजनीतिक आयोजक पोली भट्टाचार्य, कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता शतदल आचार्य सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार रखे।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और सम्मान समारोह
कार्यक्रम की शुरुआत में अलका देव, प्रियंका चौधरी, अवा श्रीवास्तव, मधुमत्ता दस्कानुंगो, ड्रीम सेलिब्रेशन की सोनाली वानिक और अन्य कलाकारों ने उद्घाटन संगीत प्रस्तुत किया। इसके बाद सम्मानित महिलाओं को प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह, स्वर्ण पदक और उपहार देकर अभिनंदन किया गया।
समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प
इस आयोजन ने महिलाओं के सशक्तिकरण और समानता की दिशा में एक सशक्त संदेश दिया। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि महिला अधिकारों की रक्षा और लैंगिक समानता के लिए केवल कानून ही नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता भी जरूरी है। सभी ने संकल्प लिया कि महिलाओं की गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए यह संघर्ष लगातार जारी रहेगा।





















