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स्वामी सत्यानंद जी महाराज

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श्री गुरु गीता कहती है “गु” मतलब अज्ञान का अंधेरा और “रु” मतलब ज्ञान का उजाला जो अज्ञान के अंधेरे से ज्ञान के उजाले की और ले जाते है वो होते है गुरु. कुछ लोग गुरु को शरीर मन लेते है, गुरु एक तत्व है, जो कभी नहीं बदलता. गुरु तत्व हर समय धरती पर था, है और रहेगा.

गुरु मतलब बड़ा इस धरती से भी बड़ा, इसीलिए सूर्य माला के सबसे बड़े ग्रह का नाम भी गुरु (jupiter) है. इस धरती पर सबसे बड़ी शक्ति है गुरु कि शक्ति, इसीलिए धरती की आकर्षण शक्ति को गुरुत्वाकर्षण (gravitational force) शक्ति कहती है, पृथ्वी आकर्षण नहीं.
हर पूर्णिमा किसी ना किसी गुरु के नाम पर रखी है. आषाढ़ मास की पूर्णिमा श्री वेद व्यास जी के नाम पर है इसीलिए इसे व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा भी कहते है.
महर्षि पतंजलि कहते है गुरु काल से अबाधित है “काले अन वच्छेदात”. मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी प्राप्ति / उपलब्धि है गुरु को पा लेना.
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी कहते है गुरु पूर्णिमा एक शिष्य के लिए उत्सव का दिवस है, इस दिन साधक अपने जीवन को परखता है. और कृतज्ञता को महसूस करते हुवे आनंद में रहता है. गुरु के जीवन में आने से जीवन में ज्ञान सहज ही उपजता है, ज्ञान से दुःख का नाश होता है और सुख का अहसास होता है, विवेक की प्राप्ति होती है, हमारे जीवन में कला अपने आप खिलने लगती है, अनायास ही मनुष्य खुश रहने लगता है और उस ख़ुशी प्रेम और आनंद को दूसरों में बाटने लगता है.
*“गुरु को भाव पूर्ण श्रद्धांजली ही गुरु पूर्णिमा का विधान है.”*
सभी गुरु भक्तों को गुरु पूर्णिमा की बहुत बहोत बधाइयाँ
“जय गुरु देव”


स्वामी सत्यानंद जी महाराज

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