फॉलो करें

हमारा आपका भविष्य फल—

417 Views

प्रिय मित्रों !!आज जैसे-जैसे चुनाव समीप आते जा रहे हैं ,वैसे-वैसे मैं अपने कुछ मित्रों से दूरी सी बढता देख रहा हूँ! मैं स्वीकार करता हूँ कि इसमें मेरे ही दोषों की प्रधानता होगी! किन्तु मैं कर भी क्या सकता हूँ  ? मन कुछ क्लान्त तथा उद्विग्न सा है,मैं सिलचर “असम”में रहता हूँ ! और ये “अ…..सम” ही है! आज यहाँ की भौगोलिक तथा राजनैतिक स्थितियाँ कुछ ऐसी “अ…..सम”सी होती जा रही हैं कि -बस!!आप पूछो मत ! आज “कश्मीर,केरल,पंजाब,दिल्ली,लद्धाख पर सभी की निगाहें हैं ! मैं मानता हूँ कि पत्थर-मार गैंग,जेहादी, अलगाव -वादी हों अथवा राष्ट्रवादी ! तथाकथित सेकुलर विचारधारा के हमारे भाई हों अथवा कि हिन्दुत्व या मुस्लिमों के समर्थक- आप दलीतों की चिन्ता करते हों अथवा कि नारीवाद और आरक्षण अथवा कि रामजन्म भूमि आदि आन्दोलनों के विरोधी या समर्थक!! किन्तु फिर भी यह जानते हुवे भी कि मेरी आवाज “नक्कार खाने में तूती की आवाज”बनकर खो जायेगी,फिर भी कुछ कहने से मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा हूँ।
एक दूसरा –“कश्मीर”– आपके सामने बहूत ही जल्दी आने वाला है!!एक ऐसा आतंकवादी क्षेत्र आपके समक्ष आयेगा कि जिसे शेष भारत से जोड़ कर रखने का कोई उपाय ढूँढने की आज और अभी आवस्यकता है ! मुझे स्मरण है -१९७० से २००० तक का वो समय जब गोहाटी से सिलचर के लिये राजमार्ग से ट्रक और गाड़ियाँ आती थीं तो उन्हे पहले “असम-राइफल्स” एकत्रित करके बीस गाड़ियों के काफिले के साथ आगे-बीच तथा पीछे “कमाण्डो” फोर्स के साथ लेकर आती थी !ऐसी भयावह स्थितियाँ थीं।
अब आप पुनश्च ध्यान देना ! तब पश्चिम बंगाल में “ज्योतिबसू” का सिक्का चलता था ! और अब-“मोमिना खातून” का चलता है, और असम के प्रवेश-द्वार अर्थात “नार्थ जलपाईगुडी “एक ऐसा भारतीय क्षेत्र का पतला सा गलियारा है जिसे आप जम्मू-कश्मीर को जोड़कर रखने वाली “जवाहर-सुरंग”भी कह सकते हो ! अक्सर कम्यूनिस्ट उस गलियारे को बन्द कर देते थे, और अब मेघालय के बीजेपी और चर्च के समर्थक कछार के लिये बन्द कर देते हैं । परिणाम स्वरूप समूचे असम-क्षेत्र अर्थात मीजोरम,नागालैण्ड,असम,मणीपुर,त्रिपुरा की जीवनोपयोगी सप्लाई-लाईन कट जाती थी और तब यहाँ पर १० ₹ के•जी• का नमक भी १००~१०० ₹ में बिकता था ! और इसका पूरा श्रेय पश्चिम बंगाल के कम्यूनिस्ट,असम की उल्फा,आशू,सुल्फा तथा एन▪एस▪सी▪एन▪का था ! और अब बीजेपी का भी है।
अभी अथवा तब भी गोहाटी तक तो ठीक-ठीक स्थितियाँ थीं किन्तु हमारा ये -“कछार”– तो बिल्कुल ही अनाथ और सीमान्त क्षेत्रीय झंझावतों से जूझ रहा था और जूझ रहा है ! अपर-असम, हाफलांग और ब्रम्हपूत्र-वेली”में तो मेरे अपने”असमिया भाषी” लोगों का शाषन है। बंग्लादेशीय घुसपैठियों के कारण ही सही किन्तु  उनकी असमिया के आधिपत्य की मांग भी उचित नहीं है ! और ऐसा ही  यहाँ के “हिन्दू-बंगालियों” की इस क्षेत्र में बांग्ला के साम्राज्य की मांग को भी उचित नहीं माना जा सकता क्योंकि  शेष भारत के हिन्दी भाषी “हिन्दुओं” का क्या होगा ?
आज यहाँ जमीनी सच्चाई ये है कि असमिया लोग केन्द्रीय बीजेपी की सरकार होने के कारण डबल इंजन की सरकार के नाम पर अपनी भाषायी मनमानी कर रहे हैं जिससे आने वाले कल हिन्दुत्व की अपूर्णनीय क्षत्ति होगी ! उनके इस कृत्य का आने वाले कल ज्यादा दूर की बात मैं नहीं करता ! बस चुनावों के तत्काल बाद यदि आइएनडीआइए की सरकार आती है तो वो भी उनकी ही राह पर चलेगी परिणामस्वरूप हऔरिन्दी और हिन्दुस्थान की स्थिति और भी खराब होगी। अर्थात “चाकू पे खरबूजा गिरे अथवा कि खरबूजे पर चाकू गिरे” परिणामस्वरूप खरबूजे को अर्थात हिन्दी भाषी समाज को यहाँ कटना ही है।
तब-“कछार और शेष असम”-अर्थात “बराक-उपत्यका” का असम से विभाजन होने के अतिरिक्त अन्य कोई भी उपाय शेष नहीं बचेगा। और आपको एक बात कहना चाहूँगा। यहाँ कछारी जनजातियां अपने अस्तित्व को लगभग खो चुकी हैं। बराक-उपत्यका के समूचे क्षेत्र में बांग्ला भाषी लोगों के भाषायी समर्थन के कारण यहाँ “बंग्लादेशीय-मुस्लिम घुसपैठियों”का एकक्षत्र साम्राज्य है।
यहाँ के अन्य भाषायी शेष भारत के वासियों और हिन्दू-बंगालियों में परस्पर धूर-विरोध है। यहाँ के स्थानीय हिन्दू बंगाली मात्र भाषायी-समानता के कारण मुस्लिम बंगलादेशीय घुसपैठियों को अपने ज्यादा समीप पाते हैं। और हम सभी हिन्दीभाषी किसी शुतूरमूर्ग की तरह अपने सर को जमीन में गाड़ कर बैठे हैं ! वो दिन दूर नहीं जब सत्ता-लोलुप स्थानीय राजनैतिक दल अपनी स्वार्थ की रोटियों को सेंकने के लिये पृथक-“कछार/असम”- की माँग करेंगे!! और तब शेष असम के बंगलादेशीय सीमांत क्षेत्रों के मुस्लिम घुसपैठिये उधर आग लगायेंगे और विशेष भाषी तथाकथित हिन्दू इधर भाषायी  आतंकवाद फैलायेंगे।
और समूचा असम क्षेत्र श्रीनगर से भी कहीं ज्यादा “आतंकवाद ” की भयानक लपटों में धू-धू कर जलने लगेगा ! जैसा कि तथाकथित भाषायी आंदोलन के अवसर पर हुवा था। मैं आग्रह करूंगा अपने नीति-नियंताओं से कि वे इस सम-सामयिक “संकट के राजनैतिक समाधान का दलगत नीतियों से ऊपर उठकर अभी से निदान ढूँढने का प्रयत्न करें। आपसे सविनय आग्रह करता है कि आप इस सम-सामयिक लेख पर अपने सुझाव अवस्य ही दें तथा इसे समग्र राष्ट्र-हित में ज्यादा से ज्यादा लोगों को पढने को प्रेरित करें–-“आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्क सूत्रांक 6901375971”

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल