शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सरकारी पहल, जिलाधिकारी और अधिकारियों ने किया निरीक्षण
प्रे.स. शिलचर, 5 फरवरी: सरकार ने 6 से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे के लिए प्रारंभिक शिक्षा को अनिवार्य किया है और प्राथमिक स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत शिक्षण परिणामों को बेहतर बनाकर गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से असम सरकार हर साल राज्यभर में “गुण उत्सव” का आयोजन कर रही है। इसी क्रम में इस वर्ष भी बराक घाटी के तीनों जिलों में यह महोत्सव आयोजित किया जा रहा है।
हाइलाकांदी और श्रीभूमि के बाद, बुधवार को कछार जिले में भी “गुण उत्सव 2025” का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर सिलचर के अंबिका पट्टी स्थित दुर्गा शंकर पाठशाला में उपायुक्त (डीसी) मृदुल यादव समेत शिक्षा विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे और विभिन्न शैक्षिक पहलुओं का गहन निरीक्षण किया। इसी क्रम में डीआईजी कंकनज्योति सैकिया ने कॉलेज रोड स्थित निरंजन पाल इंस्टीट्यूट का दौरा किया, जबकि अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) बह्निका चेतिया ने पीएम श्री सुभाष नगर प्राइमरी स्कूल में निरीक्षण कर वहां की शैक्षिक व्यवस्था पर संतोष व्यक्त किया।
सरकारी अधिकारियों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि “गुण उत्सव” सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना है। इस अभियान के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रत्येक बच्चा एक स्वस्थ वातावरण में शिक्षा प्राप्त करे और अपने उज्ज्वल भविष्य की दिशा में आगे बढ़े। इसके अलावा, इस महोत्सव से न केवल बच्चों का शैक्षिक विकास होगा, बल्कि उन्हें सक्षम और कुशल शिक्षकों के मार्गदर्शन में उच्च शिक्षा के लिए तैयार होने का अवसर भी मिलेगा।
सरकारी अधिकारियों ने यह भी उम्मीद जताई कि “गुण उत्सव” न केवल शिक्षकों और छात्रों के लिए लाभकारी साबित होगा, बल्कि स्कूलों की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने, शिक्षा प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने और शैक्षिक मानकों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में भी सहायक सिद्ध होगा।





















