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हाइलाकांदी के कोइया बागान में पारंपरिक छठ पर्व: 150 साल पुरानी आस्था का अद्भुत संगम

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हाइलाकांदी के कोइया बागान में पारंपरिक छठ पर्व: 150 साल पुरानी आस्था का अद्भुत संगम

प्रेरणा भारती, हाइलाकांदी, 28 अक्टूबर (सौरजीत धर):
असम के हाइलाकांदी ज़िले के कोइया चाय बागान में इस वर्ष भी छठ पर्व का भव्य आयोजन अपार श्रद्धा और उल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। लगभग डेढ़ से दो शताब्दी पुरानी इस परंपरा ने आज भी अपनी जीवंतता और आस्था की चमक बरकरार रखी है।

बताया जाता है कि कोइया बागान में छठ पूजा की शुरुआत लगभग 150–200 वर्ष पहले बिहार और उत्तर प्रदेश से आए प्रवासी मज़दूरों ने की थी। तब से यह पर्व न केवल एक धार्मिक आयोजन बल्कि स्थानीय सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुका है। हर वर्ष की तरह इस बार भी यहाँ श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा—करीब 20 से 30 हज़ार लोग इस पावन अवसर पर उपस्थित रहे।

सुबह-सवेरे और संध्या अर्घ्य के समय पूरा कोइया घाट दीपों की रोशनी, वेद मंत्रों और ‘छठ मइया के जयकारों’ से गूंज उठा। महिलाएँ पारंपरिक वेशभूषा में सजे पूजा स्थल तक गंगाजल, फल, फूल और दीप लेकर पहुँचीं। सूर्य देव और छठी माई की आराधना के इस दृश्य ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया।

कोइया ग्राम पंचायत के अध्यक्ष के प्रतिनिधि रौशन पांडेय ने श्रद्धालुओं को छठ पर्व की शुभकामनाएँ देते हुए कहा,

“छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। सूर्य देव सबके जीवन में प्रकाश, ऊर्जा और समृद्धि प्रदान करें।”

कोइया बागान का यह पारंपरिक छठ पर्व आज असम के बराक घाटी क्षेत्र की साझा संस्कृति और भाईचारे का जीवंत उदाहरण बन चुका है। वर्ष दर वर्ष बढ़ती भागीदारी और श्रद्धा यह दर्शाती है कि सदियों पुरानी यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

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