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प्रीतम दास, हाइलाकांदी, १४ जून:
असम सरकार ने राज्य के गरीब लोगों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक साथ तीन माह का चावल वितरित करने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने खुद इस परियोजना की देखरेख का आदेश दिया था, ताकि एक भी परिवार को खाद्य संकट का सामना न करना पड़े। लेकिन मुख्यमंत्री की यह बड़ी पहल हाइलाकांदि जिले में अनियमितताओं के अंधेरे में डूबती नजर आ रही है।
जिले के रंगौटी पार्ट-1 में उचित मूल्य की दुकानदार आफिया बेगम लस्कर पर गंभीर आरोप लगे हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि उन्होंने प्रत्येक राशन कार्ड पर पांच किलो कम चावल देने का वादा किया था। तीन माह का आवंटित चावल मिलने के बजाय उपभोक्ताओं को लगातार वंचित किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों के एक वर्ग ने इस व्यवहार को ‘खुली लूट’ करार देते हुए कड़ा रोष व्यक्त किया है। आरोप लगाया जा रहा है कि दुकानदार जानबूझकर अपने फायदे के लिए सरकारी खाद्य सामग्री को बाजार में बेच रहा है, ताकि वह अतिरिक्त मुनाफा कमा सके। इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है।
जनता पूछ रही है कि जब सरकार के निर्देश इतने स्पष्ट हैं तो स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक क्यों बना हुआ है? इस अनियमितता के खिलाफ तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है। हालांकि, क्षेत्र के लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही दोषी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे। इस अनियमितता से एक बार फिर साबित होता है कि अकेले मुख्यमंत्री की सद्भावना ही काफी नहीं है- प्रशासनिक पारदर्शिता और क्रियान्वयन के दौरान सख्त निगरानी के बिना आम लोग कुछ नहीं कर पाएंगे।





















