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प्रीतम दास हाइलाकांदी, ११ जून:
भारी बारिश और नदी के कटाव के कारण हाइलाकांदी में बंदुकामारा से शालछपरा तक की सबसे महत्वपूर्ण सड़कों में से एक आंशिक रूप से ध्वस्त हो गई है। मोहनपुर क्षेत्र में सड़क का एक बड़ा हिस्सा नदी में समा गया है, जिससे उस क्षेत्र के लगभग हजारों लोगों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है। जन-जीवन लगभग ठप हो गया है। स्थिति बेहद दयनीय हो गई है, खासकर स्कूल जाने वाले छात्रों, मरीजों और दिहाड़ी मजदूरों के लिए।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्राकृतिक आपदा के अलावा प्रशासनिक लापरवाही और लंबे समय से चल रहा भ्रष्टाचार इस आपदा के पीछे है। ग्रामीणों का दावा है कि सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल, गुणवत्ता पर नियंत्रण न होना और निगरानी का अभाव- इन सब को मिलाकर यह आपदा दरअसल एक ‘मानव निर्मित आपदा’ है। एक नाराज निवासी ने कहा, “यह सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं है, यह प्रशासन की विफलता और भ्रष्टाचार का नतीजा है। हमारी जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है।” आज सुबह मोहनपुर में सैकड़ों की संख्या में इलाके के लोग टूटी सड़क के किनारे प्रदर्शन करने लगे। हाथों में तख्तियां लेकर नारे लगाते हुए उन्होंने सड़क की तत्काल मरम्मत की मांग की। प्रदर्शन का नेतृत्व जुबैर अहमद लस्कर, फैजुल अमीन बरभुयान और गांव के कई बुजुर्ग और युवा समाजसेवियों ने किया। उनका कटाक्ष था कि यह सिर्फ सड़क नहीं है, “यह हमारी जिंदगी का तरीका है। अगर यह बंद हो गई तो हमारी जिंदगी भी बंद हो जाएगी।” प्रदर्शनकारियों ने साफ चेतावनी दी कि अगर जल्द ही मरम्मत के लिए कदम नहीं उठाए गए तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे और प्रशासन को जवाबदेह बनाने के लिए सड़कों पर उतरेंगे। इस घटना ने इलाके के विधायक निजामुद्दीन चौधरी की भूमिका पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। चुनाव के दौरान किए गए वादों पर अमल को लेकर लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है। लोगों का सवाल है, “क्या जनप्रतिनिधि सिर्फ चुनाव के समय के लिए होते हैं?” फिलहाल पूरे जिले में इस बात की चर्चा है कि जिला प्रशासन और लोक निर्माण विभाग इस संकट में कितनी जल्दी कार्रवाई करेगा। क्योंकि यह महज एक सड़क नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था से भी जुड़ा हुआ है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक आंखें मूंदे रहेगा या फिर लोगों की आवाज हुक्मरानों के कानों तक पहुंचेगी?





















