हाइलाकांदी, 10 अगस्त:बराक घाटी के विशिष्ट कवि शक्तिपद ब्रह्मचारी की साहित्यिक साधना को समर्पित “शक्तिपद ब्रह्मचारी कविता महोत्सव-2025” का आयोजन शनिवार को हाइलाकांदी स्थित श्रीकिषण सारदा कॉलेज के ऑडिटोरियम में हुआ। यह कार्यक्रम बराक उपत्यका बंग साहित्य व संस्कृति सम्मेलन की पहल पर, कॉलेज की प्लेटिनम जुबली समारोह समिति और पूर्व छात्र संघ के सहयोग से संपन्न हुआ।
मुख्य वक्ता और आसाम विश्वविद्यालय के बांगला विभाग के अध्यापक विश्वतोष चौधुरी ने कहा, “कवि की रचना को समझने के लिए पहले रचयिता को जानना आवश्यक है। रवींद्रनाथ ठाकुर ने सिखाया कि जहां प्रेम है, वहीं पूजा है, और शक्तिपद ब्रह्मचारी ने अपने लेखन में एक स्वतंत्र रवींद्रनाथ का सृजन किया।” उन्होंने रवींद्र संगीत और शक्तिपद ब्रह्मचारी की जनप्रिय कविताओं की पंक्तियाँ सुनाते हुए कवि के जीवन और रचनात्मक यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डाला।
बराक बंग की केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. राधिका रंजन चक्रवर्ती ने कहा कि बराक घाटी के लेखक किसी भी बड़े साहित्यिक केंद्र के लेखकों से कम नहीं हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से मातृभाषा के गहन अध्ययन और अपनी पहचान उसे माध्यम बनाकर व्यक्त करने का आह्वान किया।
केंद्रीय समिति के महासचिव गौतम प्रसाद दत्त ने बताया कि शक्तिपद ब्रह्मचारी की काव्य यात्रा ‘छड़ा’ से आरंभ हुई और उनके जीवन में संगठनात्मक व राजनीतिक दृष्टि भी महत्वपूर्ण रही। कॉलेज अध्यक्ष डॉ. रतन कुमार ने विद्यार्थियों से क्षेत्र के प्रमुख साहित्यकारों के कार्यों से परिचित होने का आग्रह किया।
कार्यक्रम में केंद्रीय समिति के उपाध्यक्ष माणिक चक्रवर्ती, साहित्य संपादक दीपक सेनगुप्त, पूर्व अध्यक्ष नीतीश भट्टाचार्य, जिला अध्यक्ष डॉ. इंदिरा भट्टाचार्य और डॉ. रम्यव्रत चक्रवर्ती सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने विचार व्यक्त किए।
समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और उद्घाटन गीत से हुआ। संचालन डॉ. प्रियब्रत नाथ ने किया। अंत में कविता पाठ सत्र और रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में बराक घाटी के कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं।




















