हाइलाकांदी, 11 अगस्त:बराक उपत्यका बंग साहित्य व संस्कृति सम्मेलन की पहल पर, श्रीकृष्ण सारदा कॉलेज के प्लेटिनम जुबली समारोह समिति और पूर्व छात्र संघ के सहयोग से शनिवार को “शक्तिपद ब्रह्मचारी कविता महोत्सव-2025” का आयोजन कॉलेज के ऑडिटोरियम हाल में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और उद्घाटन गीत के साथ हुई।
मुख्य वक्ता, आसाम विश्वविद्यालय के बांग्ला विभाग के अध्यापक विश्वतोष चौधुरी ने अपने संबोधन में कहा कि किसी कवि की रचना को समझने के लिए पहले उसके व्यक्तित्व को जानना जरूरी है। उन्होंने बताया कि बराक घाटी और उत्तर पूर्वांचल के विशिष्ट कवि शक्तिपद ब्रह्मचारी ने अपने लेखन से एक स्वतंत्र “रवींद्रनाथ” का निर्माण किया। इस दौरान उन्होंने रवींद्र संगीत और कवि ब्रह्मचारी की लोकप्रिय कविताओं की पंक्तियाँ भी सुनाईं और उनके कवि बनने की यात्रा का विस्तार से वर्णन किया।
बराक बंग की केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. राधिका रंजन चक्रवर्ती ने कहा कि इस क्षेत्र के रचनाकारों की रचनाएं किसी भी दृष्टि से बांग्लादेश या पश्चिम बंगाल के लेखकों से कम नहीं हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से मातृभाषा का गहन अध्ययन करने और अपनी पहचान उसी के माध्यम से व्यक्त करने का आह्वान किया।
महासचिव गौतम प्रसाद दत्त ने शक्तिपद ब्रह्मचारी की काव्य साधना की शुरुआत ‘छड़ा’ से होने की बात कही और उनके संगठनात्मक व राजनीतिक दर्शन पर प्रकाश डाला। कॉलेज अध्यक्ष डॉ. रतन कुमार ने विद्यार्थियों को क्षेत्र के प्रमुख कवियों और लेखकों के साहित्य से परिचित होने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम में उपाध्यक्ष माणिक चक्रवर्ती, साहित्य संपादक दीपक सेनगुप्त, पूर्व अध्यक्ष नीतीश भट्टाचार्य, जिला अध्यक्ष डॉ. इंदिरा भट्टाचार्य और डॉ. रम्यव्रत चक्रवर्ती सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने विचार व्यक्त किए।
दिवस भर चले महोत्सव में कविता पाठ सत्र और रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ, जिसमें बराक घाटी के कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दीं।





















