प्रीतम दास, हाइलाकांदी, 19 मई:
भाषा शहीद दिवस के अवसर पर सोमवार को हाइलाकांदी जिले में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर 1961 के शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बराक घाटी के अन्य दो जिलों की तरह हाइलाकांदी में भी इस दिन को पूर्ण सम्मान और संवेदनशीलता के साथ मनाया गया।
उल्लेखनीय है कि 19 मई 1961 को सिलचर रेलवे स्टेशन पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे नागरिकों पर पुलिस द्वारा किए गए हमले में 11 लोगों की जान चली गई थी। ये सभी लोग बंगाली भाषा को अपनी मातृभाषा के रूप में मान्यता दिलाने के आंदोलन में शामिल थे। उनके इस बलिदान के परिणामस्वरूप बंगाली भाषा को बराक घाटी में आधिकारिक मान्यता प्राप्त हुई। पिछले 65 वर्षों से यह दिन भाषा शहीद दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
हाइलाकांदी में इस अवसर पर शहीद वेदी को सजाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। सुबह से ही स्कूलों, कॉलेजों, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों तथा राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकालकर शहर का भ्रमण किया और शहीदों की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की।
बराक वैली बंगाली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक सम्मेलन, भाजपा, विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों और आम नागरिकों ने शहीद वेदी पर एकत्र होकर श्रद्धांजलि दी। हाइलाकांदी जिला भाजपा के पदाधिकारियों ने भी वेदी पर पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की।
इस दिन को और अर्थपूर्ण बनाने के लिए सुराना मोटर्स के सहयोग से बराक वैली ब्लड डोनर्स फोरम द्वारा एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर आरएसके स्थित रक्त केंद्र के अधीक्षक डॉ. अमित सिंघा के नेतृत्व में संचालित हुआ। रक्त संग्रहण में राज सिविल अस्पताल के चिकित्सकों और रक्त केंद्र के कर्मचारियों ने सक्रिय भूमिका निभाई।
ब्लड डोनर्स फोरम के जिला अध्यक्ष सुशांत मोहन चटर्जी ने जानकारी दी कि इस शिविर में कुल 25 स्वयंसेवकों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया।
भाषा के लिए दिए गए सर्वोच्च बलिदान की स्मृति में आयोजित यह दिन एक बार फिर इस बात की गवाही देता है कि बराक घाटी के लोग अपनी मातृभाषा, संस्कृति और अस्मिता के लिए सदैव सजग और एकजुट हैं।





















