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हानि लाभ जीवन मरण जस अपजस विधि हाथ फिर भी प्रयास जारी रहना चाहिए–मदन सुमित्रा सिंघल

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भारत महादेश में विभिन्नता अनेक है फिर भी सनातन धर्म इतना मजबूत है कि सबको एक साथ लेकर चल सकता है भले ही हमें विघ्न बाधाओं का सामना करना पङे लेकिन राजनीतिक दलों एवं कट्टर पंथियों से निरंतर संघर्ष करना पङेगा। किसी को भी जन्मजात सफलता नहीं मिल सकती भले ही बहुत कुछ मिल जाए। यदि बुजुर्गों की संचित मर्यादा परंपरा एवं संपत्ति संजोकर नहीं रखी गई तो बहुत ही धीमी गति से किंतु अंतोगत्वा सबकुछ स्वाह होना निश्चित है। जब भगवान् श्री राम लक्ष्मण एवं सीता को निर्धारित तिथि में राजतिलक होना था लेकिन नियति का लेखाजोखा अलग निर्धारित था। भरत ने मुनि विशिष्ठ से अचानक आये बिखराव पर प्रश्न किया तो विशिष्ठ मुनि बिलख पङे तथा कहा कि यह छह चीजें किसी के हाथ में नहीं होतीसुनहु भरत भावि प्रबल, बिलखि कहहु मुनि नाथ हानि लाभ जीवन मरण जस अपजस विधि हाथ हालांकि कुछ रामचरितमानस मानस से अनभिज्ञ लोग कहते हैं कि गुरु विशिष्ठ ने राजतिलक का मुहुर्त निकाला फिर मुहुर्त उल्टा कैसे पङ गया। सच तो यह है कि मुनि विशिष्ठ को सबकुछ मालूम था कि आगे क्या होने वाला है लेकिन कहीं कोई अप्रिय घटना ना हो जाए इसलिए भी मर्यादित रहते हुए कहा था राम का जब भी किया जाए राजतिलक हो सकता है लेकिन मुहुर्त निकाला नही गया। सिर्फ दरबार में सबकी सहमति से दिन निर्धारित किया गया था। मानस मर्मज्ञ ही समूचित रुप से वेदों शास्त्रों सहित रामायण रामचरितमानस आदि के श्लोकों एवं दोहों की व्याख्या कर सकते हैं। आजकल मिडिया मजबूत होने के कारण भी कोई रोचक कहानी किस्सा सुनाकर जनता को भ्रमित नहीं कर सकता। सुंदरकांड हनुमान चालीसा पाठ तो आसानी से कोई भी कर सकता है लेकिन उसका शब्दार्थ एवं भावार्थ विरले विद्वान ही समझा सकता है। फिर भी हमें प्रयास सदैव जारी रखना चाहिए। शतांस नहीं तो एकांश तो निश्चित रूप से संतुष्टि के कारण मिल ही जायेगा।

मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653

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