शिलचर/कालाइन, 21 मई: भारी इंतजार के बाद हारांग नदी पर भांगारपार स्थित पुल को वाहनों के लिए खोल दिया गया। करीब दो वर्षों तक स्थानीय जनता की भीषण दुर्दशा और नारकीय कष्ट सहने के बाद इस पुल के माध्यम से अब शिलचर-कालाइन मार्ग पर आवाजाही संभव हो गई।
हालाँकि, 1 करोड़ 18 लाख रुपये की लागत से बनाए गए इस पुल को लेकर काम की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। विभागीय लापरवाही और ठेकेदार की उदासीनता के कारण कार्य की तय अवधि समाप्त होने के बाद भी 9 महीने की देरी से पुल का निर्माण आधे-अधूरा रूप में पूरा किया गया।
विभागीय अभियंता कल्लोलजीत नाथ ने मंगलवार को स्वीकार किया कि हारांग नदी पर निर्माण कार्य में जल्दबाज़ी के कारण अन्य 6 पुलों की मरम्मत का कार्य शुरू नहीं हो सका है। उन्होंने आश्वस्त किया कि शेष पुलों पर कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा। लेकिन सवाल उठता है कि जब सूखा मौसम गुजर चुका है, तो अब बरसात के मौसम में मरम्मत का कार्य कैसे प्रभावी ढंग से हो पाएगा?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस पुल के साथ-साथ कुल सात पुलों की मरम्मत के लिए 1.18 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ था। इनमें से छह पुल कालाइन-शिलचर मार्ग पर हैं, जबकि सातवां पुल “रंगघर पुल” है जो इसी मार्ग के एप्रोच रोड पर स्थित है। 7 फरवरी 2024 को कार्य आवंटित किया गया था और इसे 9 महीनों के भीतर पूरा किया जाना था। बावजूद इसके, केवल हारांग पुल को किसी तरह आधा-अधूरा तैयार कर खोला गया, जबकि अन्य छह पुल अब भी उपेक्षित पड़े हैं।
इस बीच, कल से बराक नदी पर बने गैमन पुल को मरम्मत कार्य के लिए अस्थायी रूप से बंद किया जा चुका है, जिसके चलते राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 6 का यातायात अब कालाइन-शिलचर मार्ग पर डायवर्ट किया गया है। ऐसे में यदि यह वैकल्पिक मार्ग भारी वाहनों के दबाव को नहीं झेल पाया और किसी नाजुक पुल पर दुर्घटना हो गई, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
जनता का स्पष्ट सवाल है – जब एक ही पैकेज में सात पुलों के लिए बजट आवंटित था, तो केवल एक पुल पर ही कार्य क्यों हुआ? और बाकी पुलों की मरम्मत में देरी क्यों हो रही है? क्या किसी बड़ी दुर्घटना के इंतज़ार में है विभाग?





















