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हिंदीभाषी संगठनों ने शिलचर में मनाया भव्य हिंदी समारोह

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शिलचर से विशेष प्रतिनिधि द्वारा 19 सितंबर: शिलचर के कुछ प्रमुख हिंदीभाषी संगठनों द्वारा बोराखाई हाई स्कूल फकीरटीला में हिंदी माह के अवसर पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। राम सिंहासन चौहान की अध्यक्षता में आयोजित समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि आचार्य आनंद शास्त्री तथा मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के माध्यम से किया गया। अतिथि स्वागत के पश्चात शिवकुमार जी ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। हिंदी भाषी समन्वय मंच के महासचिव दिलीप कुमार ने अपने प्रास्ताविक वक्तव्य में संगठन के पिछले 24 वर्षों के कार्यों का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए कहा कि बराक घाटी के हिंदी भाषियों की वास्तविक जनसंख्या जनगणना में साजिश करके बदल दी जाती है इसलिए सभी हिंदी भाषियों को जागरूक होकर जनगणना में अपनी मातृभाषा सही सही लिखाना चाहिए। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत विश्वशर्मा का आभार प्रकट करते हुए कहा कि वे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने शिलचर में हिंदीभाषी संगठनों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया और सबकी बातें सुनी तथा हिंदी स्कूल, हिंदी शिक्षक और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के प्रति अपनी पूर्ण समर्मिता प्रकट की।

दीपिका ग्वाला ने सरस्वती वंदना पर सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया। तत्पश्चात स्थानीय वरिष्ठ नागरिकों तथा विभिन्न अंचल से आए हुए हिंदी भाषी संगठन के वरिष्ठ प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया। पांचग्राम पेपर मिल के निवासी कवि और साहित्यकार अजय कुमार सिंह ने अपनी कविता और गजल से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, उन्हें स्मृति चिन्ह देकर विशेष रुप से सम्मान प्रदान किया गया।

असम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक और कार्यक्रम के विशेष अतिथि प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने कहा कि हिन्दी की भव्यता के सामने हमारी तुच्छता आसानी से देखी जा सकती है। हमारे गुरुओं ने कहा था कि सेवा करने वाले महान नहीं होते बल्कि सेवा स्वीकार करने वाले महान होते हैं। भाषा ही वह माध्यम जिसमें अपनापन महसूस होता है। उन्होने अपने नागालैण्ड कार्यकाल का वृतांत सुनाते हुए बताया कि मैं  उनसे नागा सीखता था और ये मुझसे हिन्दी में बात करना सीखते थे। धीरे-धीरे वे हमारी संस्कृति से प्रभावित होने लगे। और प्रतिदिन मांसाहार करने वाले धीरे धीरे शाकारहार में रुचि लेने लगे। प्रो. पाण्डेय ने बताया कि परिवर्तन की रफ्तार बहुत धीमी होती है किन्तु समय आने पर स्पष्ट दिखाई देता है। हम हिन्दी के साथ जीते मरते हैं, हमारा व्यक्तित्व ऐसा हो कि लोग स्वयं हिन्दी अपनाएं। आज तक भारत है तो हिन्दी है, हिन्दी है तो भारत है।

विशिष्ठ समाजसेवी और विशेष अतिथि डॉ रंजन सिंह ने हिन्दीभाषियों की जनसंख्या कम होने के कारण पर प्रकाश डाला और कहा कि सबको मिलकर ठीक करना होगा। उन्होंने कहा कि जनसंख्या सही होगी तभी हमारी पहचान बनेगी।
विशिष्ट समाजसेवी, चाय जगत के प्रभावशाली व्यक्तित्व और कार्यक्रम के विशेष अतिथि कमलेश सिंहजी ने अपने बराकबैली में आने के बारे में बताते हुए कहा कि मैं तो यहाँ घूमने आया था आकर देखा तो लगा यहाँ के लोगों को अच्छी शिक्षा, पोषण और रोजगार की जरूरत है। यही सोचकर बागान को देखते हुए भी ३-३ हाईस्कूल, कालेज इत्यादि आरम्भ करवाया। उन्होंने बताया कि पहले यहाँ ७० % हिन्दीभाषी थे, बंगाली, मुस्लिम जाति के लोगों की संख्या बहुत कम थी। पहले बराकघाटी में हिन्दीभाषी लोग ही एमपी, एमएलए होते थे। कम से कम उस समय १५० हिन्दी स्कूल थे। धीरे-धीरे विभाजन के पश्चात बांग्लाभाषी लोगों की संख्या बढ़ती गई और हमारे लोग क्योंकि सीधे-साधे थे उनकी सरलता का फायदा उन्होंने जनगणना में उठाया और परिणाम यह हुआ कि आज हिन्दीभाषियों की संख्या जनगणना में नगण्य हो गयी। समस्या तब हुई जब हमारे ही समाज के सक्षम लोग, जिन्हें हिन्दीभाषियों को आगे ले जाना था, उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने प्रेरणा भारती के प्रकाशक दिलीप कुमार की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि ये जबसे बराकघाटी में आए हैं, हिन्दीभाषियों के उत्थान हेतु निरन्तर संघर्ष कर रहे हैं, यह भी हमारा सौभाग्य है कि हिन्दीभाषियों की आवाज को ऊपर तक पहुंचाने का जज्बा रखते हैं। आज हमें आपसी वैमनस्यता भुलाकर एकजुट होकर काम करना चाहिए। अगर हम अलग-अलग मंच पर दिखेंगे तो वैसे ही हमारा समाज कमजोर होता ही जाएगा।
विशिष्ट समाजसेविका तथा विशेष अतिथि श्रीमती हेमलता सिंगोदिया ने कहा कि पूरे सितम्बर महीने में हिन्दी दिवस मनाया जाता है। ४ वर्ष पूर्व इसी संगठन द्वारा १ महीना हिन्दी दिवस के विविध कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में दिलीप जी का अतुलनीय योगदान रहा है। आज वर्तमान में हमारे देश में ८०% लोग हिन्दी बोलते समझते हैं, एक दिन ऐसा भी आएगा जब १०० प्रतिशत लोग हिन्दी बोलने समझने लगेंगे। उन्होंने कहा हमें सिर्फ सितम्बर महीने में ही नहीं बल्कि हर दिन हिन्दी दिवस मनाना चाहिए। पूर्व शिक्षा अधिकारी तथा विशेष अतिथि जवाहर लाल राय तथा वरिष्ठ समाजसेवी, व्यवसायी तथा विशेष अतिथि  देवकीनंदन जालान ने अपने वक्तव्य में हिंदी की महिमा, उसका महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में विचार प्रकट करते हुए सभी से हिंदी को दैनिक जीवन में अपनाने की अपील की।

कार्यक्रम के अंत में अपने समापन वक्तव्य में ज्योतिषाचार्य आनंद शास्त्री ने सब को आगाह किया कि अगर देशवासी नहीं जगह तो भारत को भी अफगानिस्तान बनने में देर नहीं लगेगी।
समारोह में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में राजू पासी, मैंना गोड़, अमृत तांती, श्रीमती माया नुनिया, दिलीप नुनिया, श्वेता माला, अनुपमा ग्वाला, संगीता बड़ाईक तथा अदिति कुमार आदि ने अपने कविता, गीत और नृत्य से उपस्थित श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। समारोह का फेसबुक से रितेश नुनिया ने सीधा प्रसारण किया।

समारोह का संचालन दिलीप कुमार, कल्याण हजाम, शिवकुमार तथा चंद्रजीत नुनिया ने किया।

अतिथियों और विशिष्ट व्यक्तियों का स्वागत करने में प्रदीप गोस्वामी, गणेश लाल छत्री, रामनारायण नुनिया, सुभाष चौहान, राजेंद्र पांडेय, राजेन कुंवर, जयप्रकाश गुप्ता, रामनाथ नुनिया, श्यामू यादव प्रमोद शाह, श्रीमती रीता सिंह, जय कानू, श्रीमती सीमा कुमार, प्रभुनाथ सोनार, विश्वजीत यादव आदि शामिल थे।

कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट व्यक्तियों में भोला नाथ यादव, मेघ नारायण ग्वाला, गुलशन राय मोगा, डॉक्टर बैकुंठ ग्वाला, लक्ष्मी निवास कलवार, सुनील कुमार सिंह, योगेश दुबे, अमरनाथ प्रजापति, चौधरी चरण गोड़, पृथ्वीराज ग्वाला, श्रीमती चंद्र ज्योति माला, श्रीमती नीलम गोस्वामी, नरेश कुमार बरेठा, श्यामसुंदर रविदास, राजा कुमार, रोहित प्रताप सिंह, देवाशीष कानू, राजेंद्र प्रसाद यादव, मेघ नारायण नुनिया, सच्चिदानंद सोनार, रामबाबू नुनिया, रघुवीर कुर्मी, प्रदीप राजभर आदि शामिल थे।

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