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हिंदी: भारत की एकता की भाषा डॉ सूजीत तिवारी

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हिंदी, भारत की राजभाषा के रूप में, न केवल हमारे देश की विविध संस्कृतियों और भाषाओं को जोड़ने का माध्यम है, बल्कि यह भारतीय जनमानस की भावनाओं, विचारों और सांस्कृतिक धरोहर को भी अभिव्यक्त करने का सशक्त साधन है।  14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। तभी से यह दिन हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।14 सितंबर को हम हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, जो हमें हिंदी के महत्व और उसके विकास की दिशा में किए गए प्रयासों की याद दिलाता है।
हिंदी का महत्त्व इस बात में निहित है कि यह विभिन्न भाषाओं, बोलियों, और संस्कृतियों के बीच सेतु का कार्य करती है। हिंदी एक ऐसी भाषा है जो देश के विभिन्न हिस्सों में बोली जाने वाली भाषाओं को जोड़ती है। यह भाषा न केवल उत्तर भारत में बल्कि दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में भी समझी और बोली जाती है। हिंदी ने कभी अन्य भाषाओं को दबाने या हावी होने की कोशिश नहीं की है, बल्कि यह सभी भाषाओं के प्रति आदर और सम्मान का भाव रखती है। हिंदी की लिपि देवनागरी है, जो संस्कृत की शुद्धता को बनाए रखते हुए भी आधुनिक समय के साथ तालमेल बैठाती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही, संविधान ने यह भी व्यवस्था की कि अंग्रेज़ी भाषा भी राजकाज में सहायक भाषा के रूप में प्रयुक्त होगी। इसका उद्देश्य था कि हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच संतुलन बना रहे और सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान बना रहे।
हिंदी की जड़ें हमारी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता में गहराई तक फैली हुई हैं। यह भाषा भारतीय संस्कृति, इतिहास, साहित्य और सभ्यता को संजोए हुए है। तुलसीदास, कबीर, सूरदास जैसे महान कवियों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। इसके अलावा, आधुनिक काल में प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, और हरिवंश राय बच्चन जैसे साहित्यकारों ने हिंदी को जनमानस के हृदय तक पहुँचाया है।
आज हिंदी न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में बोली और समझी जाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के प्रयास चल रहे हैं, जिससे यह साफ है कि हिंदी की वैश्विक महत्ता बढ़ती जा रही है। विश्व के कई देशों में हिंदी के प्रति उत्साह देखने को मिलता है, जहाँ हिंदी के विद्यालय, पाठ्यक्रम और शोध संस्थान संचालित हो रहे हैं।
तकनीक और वैश्वीकरण के इस युग में भी हिंदी ने खुद को समायोजित किया है। इंटरनेट, सोशल मीडिया, फिल्म उद्योग, और टेलीविजन पर हिंदी की महत्वपूर्ण उपस्थिति है। हिंदी में लेखन, पत्रकारिता, साहित्य और विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में भी निरंतर प्रगति हो रही है। आज हिंदी तकनीकी क्षेत्र में भी एक प्रमुख भाषा बन चुकी है, और इसकी पहुँच डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स तक विस्तारित हो चुकी है।
हिंदी दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि हिंदी न केवल भारत की राजभाषा है, बल्कि यह देश की एकता, विविधता और सांस्कृतिक धरोहर की प्रतीक भी है। यह भाषा हमें आपस में जोड़ती है, हमारे विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्ति देती है, और हमारी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत बनाती है। आज के समय में हिंदी का महत्व और भी बढ़ गया है, और हमें इसे प्रोत्साहित करने के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं का भी सम्मान करना चाहिए, ताकि भारत की भाषाई विविधता सदैव संरक्षित रहे। यही कारण थे जिसके चलते देश के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हिन्दी को राज भाषा बनाने की पैरवी  किया था। और इसके उलट देश की विखंडन कारी शक्तियां भरम फैला कर हिन्दी भाषा कि विरोध करते रहती हैं।
इस हिंदी दिवस पर, हम सभी का कर्तव्य है कि हम हिंदी भाषा को बढ़ावा दें, इसके विकास में योगदान करें और इसे जन-जन तक पहुँचाएँ।

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