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हिंदी : राजभाषा, राष्ट्रभाषा और विश्वभाषा– प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी

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एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति और संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, जो हमारे पांरपरिक ज्ञान, प्राचीन सभ्‍यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है। आज देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ अंग्रेजी पूरे देश पर हावी होती जा रही है। देश की राजभाषा हिंदी होने के बावजूद आज हर जगह अंग्रेजी का वर्चस्व कायम है। हिंदी जानते हुए भी लोग हिंदी में बोलने, पढ़ने या काम करने में हिचकने लगे हैं। इसलिए भारत सरकार का प्रयास है कि हिंदी के प्रचलन के लिए उचित माहौल तैयार किया जा सके। राजभाषा हिंदी के विकास के लिए खासतौर से भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत राजभाषा विभाग का गठन किया गया है। भारत सरकार का राजभाषा विभाग इस दिशा में प्रयासरत है कि केंद्र सरकार के अधीन कार्यालयों में अधिक से अधिक कार्य हिंदी में हो।
केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी का अधिकाधिक उपयोग सुनिश्‍चित करने हेतु भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा उठाए गए कदमों के परिणामस्‍वरूप कंप्‍यूटर पर हिंदी में कार्य करना अधिक आसान एवं सुविधाजनक हो गया है। राजभाषा विभाग द्वारा वेब आधारित सूचना प्रबंधन प्रणाली विकसित की गई है, जिससे भारत सरकार के सभी कार्यालयों में हिंदी के उत्तरोत्तर प्रयोग से संबंधित तिमाही प्रगति रिपोर्ट तथा अन्‍य रिपोर्टें राजभाषा विभाग को त्‍वरित गति से भिजवाना आसान हो गया है। सभी मंत्रालयों और विभागों ने अपनी वेबसाइटें हिंदी में भी तैयार कर ली हैं। सरकार के वि‍भि‍न्‍न मंत्रालयों एवं वि‍भागों द्वारा संचालि‍त जन कल्‍याण की वि‍भि‍न्‍न योजनाओं की जानकारी आम नागरि‍कों को हिंदी में मि‍लने से गरीब, पि‍छड़े और कमजोर वर्ग के लोग भी लाभान्‍वि‍त होते हुए देश की मुख्‍यधारा से जुड़ रहे हैं।
देश की स्‍वतंत्रता से लेकर हिंदी ने कई महत्‍वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। भारत सरकार द्वारा विकास योजनाओं तथा नागरिक सेवाएं प्रदान करने में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। हिंदी तथा प्रांतीय भाषाओं के माध्यम से हम बेहतर जन सुविधाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय द्वारा ‘विश्व हिंदी सम्मेलन’ और अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के माध्यम से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ मनाया जाता है, जिसमें विश्व भर में रहने वाले प्रवासी भारतीय भाग लेते हैं। विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों की उपलब्धियों के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम से भारतीय मूल्यों का विश्व में और अधिक विस्तार हो रहा है। विश्‍वभर में करोड़ों की संख्‍या में भारतीय समुदाय के लोग एक संपर्क भाषा के रूप में हिंदी का इस्‍तेमाल कर रहे हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय स्‍तर पर हिंदी को एक नई पहचान मिली है। भारतीय विचार और संस्‍कृति का वाहक होने का श्रेय हिंदी को ही जाता है। आज संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भी हिंदी की गूंज सुनाई देने लगी है।
हिंदी आम आदमी की भाषा के रूप में देश की एकता का सूत्र है। सभी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन होने के नाते हिंदी विभिन्न भाषाओं के उपयोगी और प्रचलित शब्दों को अपने में समाहित करके सही मायनों में भारत की संपर्क भाषा होने की भूमिका निभा रही है। हिंदी जन-आंदोलनों की भी भाषा रही है। हिंदी के महत्त्व को गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने बड़े सुंदर रूप में प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा था, “भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी”। हिंदी के इसी महत्व को देखते हुए तकनीकी कंपनियां इस भाषा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं। यह खुशी की बात है कि सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी का इस्‍तेमाल बढ़ रहा है। आज वैश्वीकरण के दौर में, हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है। आज पूरी दुनिया में 260 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा पढ़ाई जा रही है। ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकें बड़े पैमाने पर हिंदी में लिखी जा रही हैं। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है।
भाषा का विकास उसके साहित्य पर निर्भर करता है। आज के तकनीकी के युग में वि‍ज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी हिंदी में काम को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि देश की प्रगति में ग्रामीण जनसंख्‍या सहित सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। इसके लिए यह अनिवार्य है कि हिंदी और अन्‍य भारतीय भाषाओं में तकनीकी ज्ञान से संबंधित साहित्‍य का सरल अनुवाद किया जाए। इसके लिए राजभाषा विभाग ने सरल हिंदी शब्दावली भी तैयार की है। राजभाषा विभाग द्वारा राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन योजना के द्वारा हिंदी में ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकों के लेखन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे हमारे विद्यार्थियों को ज्ञान-विज्ञान संबंधी पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध होंगी। हिंदी भाषा के माध्यम से शिक्षित युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हो सकें, इस दिशा में निरंतर प्रयास भी जरूरी है।
भाषा वही जीवित रहती है, जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिंदी है। इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करना चाहिये। हिंदी भाषा के प्रसार से पूरे देश में एकता की भावना और मजबूत होगी। मुझे पूरा विश्वास है कि अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के माध्यम से हम हिंदी के संपर्क भाषा और राजभाषा, दोनों रूपों की तरक्की में बेहतर योगदान कर पाएंगे।
प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी, पूर्व महानिदेशक, भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली

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