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हिंदी मेरी मातृभाषा है । रोचक बात यह है कि हिंदी भाषी होने के बावजूद मुझे ऐसे जगह पर काम करने का मौका मिला जहां पर अहिंदी भाषी लोग रहते हैं। और खास बात यह है कि मैं एक स्कूल में शिक्षक हूं , तो गांव के लोगों के साथ, बच्चों के माता-पिता के साथ मेरा व्यवहारिक संबंध स्वाभाविक रूप से है । इस व्यावहारिक संबंध के वजह से स्थानीय संस्कृतियों को समझने का सौभाग्य मिला है। एक ओर तो समृद्ध विस्तृत संस्कृतिक परिपेक्ष को ध्यान में रखते हुए गढ़ी गई परंपरा जो समृद्ध उत्तर भारत को वैश्विक धरातल पर लाने का पुरजोर प्रयास है तो दूसरी ओर अथाह गहराइयों से भरी हुई सांस्कृतिक विविधता को संजोए हुए ग्रामीण संस्कृतियां भारत की समृद्ध विरासत को प्रतिबिंबित करती हैं। विभिन्न भाषा भाषियों के मध्य में हिंदी एक पूल का काम करती है। संपूर्ण राष्ट्र में अलग-अलग प्रकार की भाषा स्थानीय स्तर पर बोली जाती हैं । नागालैंड का कोई व्यक्ति बनारस जाता है या बनारस का कोई व्यक्ति मणिपुर जाता है दोनों एक दूसरे के स्थानीय बोली से अपरिचित हैं, लेकिन हिंदी के माध्यम से सहजता के साथ आपसी वार्तालाप को कर सकते हैं और स्थानीय संस्कृति समाज से जुड़ सकते हैं, इसीलिए तो हम कहते हैं कि हिंदी ही सामाजिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण माध्यम है। क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता देते हुए भी हिंदी भाषा के ज्ञान को अगर महत्व दिया जाए तो एक दूसरे से मिलो दूर बैठे लोग भी व्यापारिक संबंध स्थापित कर पाएंगे संसाधनों का बेहतर उपयोग हो पाएगा और इससे उत्पन्न होने वाली बेहतर आय से विभिन्न स्तरों के लोगों का आर्थिक व सामाजिक विकास संभव होगा । स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के अलावा देश भर में चुनिंदा हिंदी फिल्मों की स्क्रीनिंग पर छूट, हिंदी में फॉर्म इत्यादि भरने पर विशेष लाभ, महिलाओं द्वारा हिंदी भाषा की शिक्षा व उसका प्रचार आदि कुछ सरल तरीके हैं, जिनसे इसे हर प्रांत में प्रोत्साहन मिल सकता है। हिंदी भाषा के रूप में यदि आर्थिक प्रगति की बात करें तो हमें समझ आएगा कि हिंदी रोजगार के लिए अवसर उपलब्ध कराने का काम भी कर रही है। भारत के अतिरिक्त विश्व के लगभग 100 देश के विश्वविद्यालयों में हिंदी विभाग की स्थापना कराई गई है। भारत के हर विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग एवं राजभाषा विभाग बनाया गया है। यहां पर एक बड़ा रोजगार का अवसर उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त अनुवाद लेखन, फिल्मों में विज्ञापन लेखन के क्षेत्र में रोजगार का अवसर हिंदी भाषा से उपलब्ध हो रहा है।
हिंदी भाषा हमारे सामाजिक संस्कृतियों से जुड़ी हुई भाषा है जो सामाजिक सांस्कृतिक धरोहर की प्राचीनता को आज भी बनाए हुए हैं । यह वर्तमान भारतीय समाज के विकास एवं आर्थिक प्रगति की भाषा है । वैश्विक स्तर पर हिंदी की अपनी एक पहचान स्थापित हो रही है । विश्व के पांच महत्वपूर्ण भाषाओं में हिंदी का स्थान तीसरे नंबर पर है। यह हिंदी भाषा हिंदी भाषियों के लिए गौरव की बात है कि विदेशों से आने वाले आगंतुक भी हिंदी में वार्तालाप करने की कोशिश कर रहे हैं । हमारी संस्कृति को समझने की कोशिश कर रहे हैं, यही कारण है कि वैश्विक व्यापार में हिंदी का सहयोग लिया जाना प्रारंभ हो गया है। वर्ष २०२२- २३ में हिंदी के माध्यम से विश्व में ट्रिलियन डॉलर का व्यापार हुआ है। लेख के अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि जितना ज्यादा हिंदी को हम बढ़ावा देंगे उतना अधिक उसका महत्व भावी पीढ़ी समझ पाएगी।
विकाश कुमार उपाध्याय
प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक
जवाहर नवोदय विद्यालय कछार





















