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यशवंत पाण्डेय, शिलकुड़ी 19 सितम्बर।
यह उद्गार हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत असम विश्वविद्यालय, सिलचर में आयोजित हिंदी कविता पाठ प्रतियोगिताएं के उद्घाटन सत्र में प्रो. जी पी पांडेय ने व्यक्त किया। उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि ‘संविधान निर्माताओं ने यह विचार किया कि भारत देश की भी एक राजभाषा हो जो सभी राज्यों राज्यों को जोड़ने में सक्षम हो। हिंदी भाषा पर सर्व सहमति मिली जो आज पूरे देश की राजभाषा बन गई है। संपर्क भाषा के रूप में हिंदी पूरे देश की सांस्कृतिक भाषा विरासत को एकता में पिरोकर पल्लवित-पुष्पित करने का कार्य कर रही है।’ इस अवसर पर असम विश्वविद्यालय के कुलसचिव, डॉ प्रदोष किरण नाथ ने कहा कि ‘हिंदी हमारी राजभाषा है । इस तरह के आयोजन से निश्चित ही हिंदी के विकास यात्रा को बल मिलेगा।’ इस अवसर पर कुलपति के संदेशों का वाचन किया गया जो कर्मचारियों को प्रेरणा एवं प्रोत्साहन देने वाला था। इस काव्य गोष्ठी एवं कविता पाठ प्रतियोगिता में डॉ. पिनाक कांति राय, अनुप कुमार वर्मा, डॉ. दर्शना पटवा, श्यामल आचार्यजी, श्रीमती मिताली भट्टाचार्जी, निर्मल दत्ता, निर्माल्य चक्रवर्ती, पृथ्वीराज ग्वाला, फजल उद्दीन, श्रीमती नीला पाल आदि कर्मचारियों ने काव्य पाठ किया और व्यापक संख्या में कर्मचारियों ने भाग लिया। डॉ. सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय, हिंदी अधिकारी ने स्वागत भाषण दिया एवं कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। पृथ्वीराज ग्वाला ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। संतोष ग्वाला ने कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष सहयोग प्रदान की।