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हीरालाल ग्वाला जी के निधन से लखीपुर में शोक की लहर

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प्रेरणा प्रतिवेदन लखीपुर, 18 जनवरी: लखीपुर क्षेत्र ने एक सम्मानित और प्रिय व्यक्तित्व को खो दिया है। छोटामामदा हिंदी एम.ई. स्कूल के सेवानिवृत्त प्राध्यापक हीरालाल ग्वाला जी का 7 जनवरी की रात 11:05 बजे दिल का दौरा पड़ने से अचानक निधन हो गया। महज पाँच मिनट में उन्होंने इस नश्वर संसार को छोड़ दिया। उनके निधन की खबर से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।

व्यक्तित्व की मिसाल
ग्वाला जी अपने व्यवहार कुशलता, न्यायप्रियता, सरलता और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे। समाज के प्रति उनकी समर्पित भावना और उनके स्पष्ट विचारों ने लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। उनकी सामाजिकता और नेतृत्व ने न केवल उनके सहकर्मियों बल्कि स्थानीय समुदाय को भी प्रेरित किया।

पारिवारिक शोक
हीरालाल ग्वाला जी अपने पीछे शोक संतप्त परिवार में पत्नी, तीन पुत्र – भास्कर, दीपम और अनुपम – तथा एक पुत्री सुषमा को छोड़ गए हैं। उनका जन्म 1 अक्टूबर 1957 को हुआ था।

शैक्षिक योगदान
ग्वाला जी ने 1978 में छोटामामदा हिंदी एम.ई. स्कूल में असमिया शिक्षक के रूप में कार्यभार संभाला। 2005 में प्रधानाध्यापक बनने के बाद उन्होंने विद्यालय में अनुशासन और शिक्षा के स्तर को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया। उनके नेतृत्व में स्कूल ने शिक्षा के क्षेत्र में कई उपलब्धियाँ हासिल कीं। उन्होंने अक्टूबर 2017 में प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत्ति ली।

क्षेत्र को दी अमूल्य धरोहर
हीरालाल ग्वाला जी का जीवन और उनकी सेवा लखीपुर क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी स्मृति इस क्षेत्र के लोगों के दिलों में हमेशा जीवित रहेगी। उनके निधन से हुई अपूरणीय क्षति को शब्दों में व्यक्त करना कठिन है।

श्रद्धांजलि
ग्वाला जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए स्थानीय समुदाय और उनके पूर्व छात्रों ने मिलकर शोकसभा आयोजित की। सभी ने उनकी आत्मा की शांति और परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की।
“वे हमारे दिलों में सदा जीवित रहेंगे।”

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