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प्रेरणा भारती, होजाई, 18 नवंबर: हिन्दू धर्म में छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार होता है. इस पर्व में भगवान सूर्य के साथ छठी माई की पूजा-उपासना विधि-विधान के साथ की जाती है. यह सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। छठ पूजा का यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है. इसमें 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रख जाता है. छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल उपवास रखते हैं. इस पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है, लेकिन छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से हो जाती है, जिसका समापन सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है। इस दौरान महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं। छठ के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर उसके अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन होता है। चार दिनों तक चलने वाला ये पर्व सभी के लिए बहुत खास है। छठ पूजा न केवल बिहार में बल्कि देश के कई राज्यों में भी बड़े धूमधाम से मनाई जाती हैं। इसकी शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। छठ पूजा का ये व्रत संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवन के लिए किया जाता है। इस दौरान महिलाएं निर्जला उपवास रखती है। छठ के सभी दिनों का विशेष महत्व होता है। हालांकि, छठ के दूसरे दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन खरना किया जाता है। छठ पूजा के दूसरे दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं। शाम के समय मिट्टी के नए चूल्हे पर गुड़ की खीर प्रसाद के रूप में बनाई जाती है। इसी प्रसाद को व्रती ग्रहण करते हैं। बड़ी ही श्रृद्धा के साथ मनाया जाने वाला महापर्व छठ आज १७ नवंबर दिन शुक्रवार से शुरू हो गया है और इस पर्व का समापन २० नवंबर को होगा । इस छठ महापर्व का लोगों को बड़ी बेसब्री से इतंजार रहता है । छठ ही वो मौका होता है जब अपने गांव-घर से दूर शहर में रहने वाले लोग अपने घर आते हैं । छठ में पूरा परिवार एकजुट होकर इस पर्व को मनाता है । ऐसे में छठ पूजा को लेकर लोगों में एक अलग ही भावना होती है । चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य देते हुए समापन होता है ।