अगरतला, 06 फरवरी (हि.स.)। त्रिपुरा से 12 बांग्लादेशी नागरिकों को उनकी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करने और 2 साल से अधिक समय हिरासत में बिताने के बाद वापस उनके देश भेज दिया गया। वे रोजगार की तलाश में अवैध रूप से त्रिपुरा में दाखिल हुए थे। इनमें छह महिलाएं और छह पुरुष शामिल हैं। वे रोजगार की तलाश में दलालों की मदद से अवैध रूप से त्रिपुरा में दाखिल हुए थे। उन्हें अगरतला-अखौरा एकीकृत चेक पोस्ट के रास्ते वापस भेज दिए गए।
ज्ञात हो कि आज उन्हें बांग्लादेश वापस भेजने की सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद वापस भेज दिया गया। बांग्लादेश के उच्चायुक्त ने भारत और त्रिपुरा सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि छह महिलाओं और छह पुरुषों सहित 12 बांग्लादेशी नागरिकों को वापस भेज दिया गया।
उन्होंने मीडिया को बताया कि उनमें से 11 वयस्क हैं, और एक नाबालिग लड़की है। वे काम की तलाश में वैध दस्तावेजों के बिना भारत में दाखिल हुए थे। इसीलिए उन्हें स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने पकड़ लिया और कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा।
उन्होंने खुलासा किया कि नाबालिग को उसके रिश्तेदारों द्वारा अवैध रूप से ले जाया गया था और यातना और उत्पीड़न का सामना करते हुए अपने घर में काम करने के लिए मजबूर किया गया था। हालांकि, उन्होंने घर छोड़ दिया और पुलिस की शरण ली और आज 3 साल बाद वह घर लौट रही हैं।
वापस भेजे गए बांग्लादेश के जमालपुर निवासी सोहन मियां (24) ने कहा कि वह एक कपड़ा कंपनी में काम करने के लिए त्रिपुरा में दाखिल हुए थे।
उन्होंने बताया कि एक दलाल ने उसे प्रवेश करने में मदद की, लेकिन, बीएसएफ ने पकड़ लिया। 15 महीने के बाद वह आज घर लौट रहा है। वापस भेजे गए एक अन्य व्यक्ति एमडी रियाज़ हुसैन ने बताया कि उन्होंने दलालों के कारण भारत में प्रवेश किया और उन्हें बीएसएफ को सौंप दिया गया। 15 महीने बाद अब वे घर लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें आज बहुत अच्छा लग रहा है कि वह अपने परिवार से मिलने के लिए घर जा रहे हैं। वह काम के लिए 2022 में अवैध रूप से त्रिपुरा में प्रवेश किया। दलाल ने उसे अच्छे पैसे दिलाने का वादा किया था। अपनी मां और भाई को लेने आए साजू राय ने कहा कि वे दलालों के जाल में फंस गए थे, जो उन्हें ईलाज के लिए अवैध रूप से त्रिपुरा ले गए, लेकिन बीएसएफ ने उन्हें हिरासत में ले लिया।