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(शीतल निर्भीक ब्यूरो बलिया)
वाराणसी। पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल में रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार तेजी से हो रहा है। इसी कड़ी में मऊ-शाहगंज दोहरीकरण परियोजना के तहत खुरासनरोड-फरीहा (20.01 किमी) रेल खंड का दोहरीकरण कार्य पूरा होने के बाद आज 28 मार्च 2025 को रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) उत्तर पूर्व सर्किल प्रणजीव सक्सेना ने इसका संरक्षा निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान गोरखपुर मुख्यालय, वाराणसी मंडल और रेल विकास निगम लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
निरीक्षण की शुरुआत खुरासनरोड रेलवे स्टेशन से हुई, जहां सीआरएस ने इंटरलॉकिंग सिस्टम, कलर लाइट सिग्नलिंग, पॉइंट्स, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग, यार्ड प्लान, न्यूट्रल सेक्शन, पावर सब-स्टेशन, प्लेटफार्म क्लियरेंस, फाउलिंग मार्क और ओवरहेड ट्रैक्शन सहित विभिन्न संरक्षा मानकों की बारीकी से जांच की। साथ ही, नए प्लेटफार्म, लूप लाइन, ओवरहेड ट्रैक्शन पोल, डिजिटल लॉकिंग, फायर अलार्म और तकनीकी दस्तावेजों की भी समीक्षा की गई।

इसके बाद खुरासनरोड से समपार फाटक 55C तक रेल खंड का तकनीकी निरीक्षण किया गया, जिसमें सिग्नल, सूचना बोर्ड, बैलास्ट कुशनिंग, रेल पथ की मजबूती, पुल-पुलियों और ओवरहेड लाइनों की स्थिति का आकलन किया गया। संरक्षा परीक्षण पूरा होने के बाद सीआरएस स्पेशल ट्रेन द्वारा 120 किमी/घंटे की रफ्तार से सफलतापूर्वक स्पीड ट्रायल किया गया।
गौरतलब है कि मऊ-शाहगंज रेल खंड के 87.28 किमी हिस्से का दोहरीकरण पहले ही पूरा हो चुका है, जबकि खुरहट से मऊ के बीच 12.47 किमी का कार्य प्रगति पर है। इस परियोजना के पूर्ण होने से ट्रेनों की लेटलतीफी में कमी आएगी, गति बढ़ेगी, क्रॉसिंग के कारण रुकावटें दूर होंगी और नई ट्रेनों के संचालन की संभावना बढ़ेगी। साथ ही, यह रेल मार्ग सस्ती और आरामदायक यात्रा का विकल्प बनेगा, जिससे पेट्रोलियम उत्पादों की खपत घटेगी और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। इस संबंध में जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार ने जानकारी दी।





















