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चाय उद्योग के विकास और चुनौतियों पर गहन मंथन, असम सरकार ने दिए कई अहम आश्वासन
शिव कुमार शिलचर, 15 फरवरी- भारत के चाय उद्योग के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय तब जुड़ गया जब सुरमा वैली ब्रांच इंडियन टी एसोसिएशन (ITA) की 124वीं वार्षिक आम सभा का आयोजन शिलचर के कछार क्लब में भव्य रूप से किया गया। इस प्रतिष्ठित सभा में असम सरकार के मंत्री श्री कौशिक राय, असम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. डॉ. राजीव मोहन पंथ, इंडियन टी एसोसिएशन के एडिशनल वाइस चेयरमैन अतुल रस्तोगी, सेक्रेटरी जनरल अरिजित राहा, चेयरमैन ईश्वर भाई उबाड़िया, सेक्रेटरी संजय बागची सहित चाय उद्योग से जुड़े कई प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।कार्यक्रम के दौरान असम और भारत के चाय उद्योग की वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही, चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिकों की समस्याएँ, उद्योग पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और उत्पादन से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों के समाधान पर विचार-विमर्श किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ गणमान्य अतिथियों के पारंपरिक स्वागत के साथ हुआ, जहाँ उन्हें फूलों के गुलदस्ते और पारंपरिक उतरिया भेंट कर सम्मानित किया गया। इसके पश्चात, इंडियन टी एसोसिएशन के चेयरमैन ईश्वर भाई उबाड़िया ने सभा का उद्घाटन भाषण दिया और चाय उद्योग की वर्तमान स्थिति पर अपने विचार साझा किए।उन्होंने कहा,आज, 124वीं वार्षिक आम सभा के अवसर पर, मैं हमारे माननीय मुख्य अतिथि श्री कौशिक राय, असम सरकार के कैबिनेट मंत्री, और विशिष्ट अतिथि प्रो. डॉ. राजीव मोहन पंथ का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मैं सभी प्रतिनिधियों, संघ के सदस्यों और हितधारकों का आभार व्यक्त करता हूँ, जिनके सहयोग से यह उद्योग निरंतर प्रगति कर रहा है।इंडियन टी एसोसिएशन के चेयरमैन ईश्वर भाई उबाड़िया ने भारतीय चाय उद्योग की प्रमुख चुनौतियों और उनके समाधान पर विस्तार से चर्चा की। इन विषयों में निम्नलिखित मुद्दे प्रमुख रूप से शामिल रहे:उन्होंने चिंता जताई कि भारत में निम्न गुणवत्ता वाली चाय का आयात हो रहा है, जिससे भारतीय चाय उत्पादकों को नुकसान हो रहा है।टी बोर्ड और सरकार इस पर सख्त नियंत्रण लगाने के लिए उपाय कर रही है।उन्होंने कहा कि लगभग 50% श्रमिक नियमित रूप से काम पर नहीं आते, जिससे चाय उत्पादन पर गंभीर असर पड़ रहा है।इस समस्या के समाधान के लिए श्रमिकों को नई प्रोत्साहन योजनाओं से जोड़ा जाएगा।उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत कुछ लोग चाय बागानों की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं।इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सरकारी स्तर पर उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।जलवायु परिवर्तन के कारण चाय बागानों में कीटनाशकों की खपत बढ़ गई है।
उन्होंने टी रिसर्च एसोसिएशन (TRA) से आग्रह किया कि कीटनाशकों की लागत को नियंत्रित करने के लिए नई तकनीकों पर शोध किया जाए। कई चाय बागानों में 90% बिजली उपलब्ध होने के बावजूद, बार-बार कटौती होने के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है।सरकार से बिजली आपूर्ति में सुधार की माँग की गई।पश्चिम बंगाल की तरह असम में भी एक ‘टी सेल’ स्थापित करने का सुझाव दिया गया ताकि चाय उत्पादकों को अधिक समर्थन मिल सके।असम सरकार के मंत्री श्री कौशिक राय ने चाय उद्योग की समृद्धि और चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा:असम की चाय अपनी उत्कृष्ट गुणवत्ता और समृद्ध परंपरा के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। राज्य सरकार इस उद्योग की समस्याओं को दूर करने और इसे और अधिक प्रतिस्पर्धी एवं लाभदायक बनाने के लिए कड़े कदम उठा रही है।उन्होंने निम्नलिखित आश्वासन दिए:निम्न गुणवत्ता वाली चाय के आयात पर सरकार की सख्त निगरानी होगी।बिजली आपूर्ति को स्थिर और सुचारू बनाने के लिए बुनियादी ढाँचे को सशक्त किया जाएगा।चाय श्रमिकों के कल्याण के लिए नई योजनाओं को जल्द लागू किया जाएगा।

जलवायु परिवर्तन से प्रभावित चाय बागानों के लिए विशेष राहत योजनाएँ लाई जाएँगी। असम यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. राजीव मोहन पंथ ने सभा को संबोधित करते हुए चाय उद्योग और शिक्षा के बीच सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा:असम का चाय उद्योग लगभग 200 वर्षों से निरंतर प्रगति कर रहा है और पूरी दुनिया में भारतीय चाय की पहचान बना रहा है।डॉ. पंथ ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को साझा करते हुए बताया कि:असम यूनिवर्सिटी के विज्ञान विभाग में चाय पर शोध किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में 17 विभिन्न चाय प्रजातियों वाला एक लघु चाय बागान विकसित किया गया है। कृषि अभियांत्रिकी और जैव-प्रौद्योगिकी विभाग नई तकनीकों पर कार्य कर रहे हैं। चाय उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग से नवाचार और विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा।अगर हम शिक्षा और उद्योग को जोड़ें, तो 1+1 गणित में 2 होता है, लेकिन प्रबंधन में यह 11 के बराबर होता है। हमें एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है!124वीं वार्षिक आम सभा में चाय उद्योग से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। सभा के दौरान सरकार, उद्योग और शिक्षाविदों ने मिलकर असम की चाय को वैश्विक स्तर पर नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का संकल्प लिया।