“खेल से रेल, रेल से विश्व तक” के आलेख की सुप्रसिद्ध लेखिका और मेरी सहकर्मी अनुश्री घोष,
कार्यालय अधीक्षक पद पर मेरे साथ मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में कार्यरत हैं। खेल के जरिए 14 देशों की यात्रा करने वाली वो एक अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी हैं। आज उनकी बेटी का अन्नप्रासन संस्कार बांग्ला भाषा में ‘मुखे भात’ था, मैं उनके निमंत्रण पर उनकी बेटी को शुभाशीष प्रदान करने उनके घर बनगांव, चांदपाड़ा गया था। मैं आज सुबह कुमार सभा के कार्यक्रम में जाने के कारण बहुत देर से उनके घर पहुंचा,सभी मेहमान जा चुके थे। मैंने सोचा क्यों न आज के शुभ दिन इस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अनुश्री का साक्षात्कार ले लिया जाए। अनुश्री अपने घर पर थीं, अपनी नन्हीं बेटी को अपने गोद में लिए थीं, मेरे प्रस्ताव पर बोलीं क्यों नहीं चलिए पूछिए!!…उन्होंने थोड़ी देर चुप रहने के बाद बड़ी सहजता से सम्बंधित विषय पर बातचीत शुरुआत कर दी-अनुश्री ने 2007 में मिनी नेशनल खेला, 2008 और 2009 में सब जूनियर, 2010 में जूनियर, 2011 में जूनियर-सीनियर और यूथ, तीन नेशनल खेले। 2012 में भारत में ट्रायल कैंप में गईं और चयनित-100 में उन्हें मौका मिला, उस कैंप में 100 से 25, फिर 12, में आकर, उत्तम प्रदर्शन के दम पर थाईलैंड में मैच खेल कर आते ही पूर्व रेलवे में नियुक्ति मिली। दिसंबर 2012 में सियालदह मंडल, पूर्व रेलवे में रेल सेवा की कमान संभाली, और फिर 2013 में थाईलैंड में सीनियर एशियन चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। अनु ने बताया 2012 में रेलवे में भर्ती होते ही मुझे भारतीय रेलवे टीम में मौका मिल गया। तब से अर्थात सन 2012 से लेकर 2022 तक मैं लगातार 10 वर्ष तक भारतीय रेलवे की वालीवॉल टीम का हिस्सा बनी, वो दस वर्षों तक रेलवे टीम में अनवरत खेलती रहीं। अनु ने भारतीय रेलवे टीम के लिए फेडरेशन कप भी खेला और उनकी टीम ने सभी में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। अनु को अनेक व्यक्तिगत मेडल भी मिलते रहे। प्रसन्नता कि बात है कि अनुश्री भारतीय रेलवे टीम के साथ-साथ अखिल भारतीय वालीवॉल टीम में चयनित होकर भारत का प्रतिनधित्व करते हुए भी खेलती रहीं। प्रारम्भ में पश्चिम बंगाल सरकार के भी उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। 2016 में गौहाटी में भारत और 2019 में काठमांडू नेपाल के दक्षिण एशियाई खेलों में अनुश्री का प्रदर्शन बहुत अच्छा था, दोनों एशियाई खेलों में अनुश्री को स्वर्ण पदक मिला। अनुश्री कहती हैं, “अपने देश भारत को स्वर्ण जीतते हुए देखकर मुझे बहुत खुशी हुई और सबसे भावुक क्षण पोडियम पर खड़े होकर राष्ट्रगान बजते हुए, सुनना-गुनगुनाना था, वह मेरे जीवन में विशेष गर्व का क्षण था”।
2014 में दक्षिण कोरिया के इंचोन शहर में और 2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता शहर में दो एशियन गेम्स में अनु की सहभागिता रही, अनुश्री कहती हैं “वहां की व्यवस्था से मैं बहुत प्रभावित हुई, वहाँ एक देश के सभी स्पर्धाओं के खिलाड़ी एक स्थल पर रहते थे, जिन्हें अलग गाँव का नाम देकर अलग-अलग ढंग से विभाजित किया गया था”। अनुश्री कमरे की छत की ओर देखते हुए शून्य में खो कर कहती हैं “यदि आप जीवन में सबके प्रति व स्वयं के प्रति ईमानदार हैं, तो पहले आपके मन में अपने लिए सार्थक एवं सकारात्मक भावनाएँ होनी चाहिये, और आप यदि अपनी भावनाओं को सम्मान देते हुए निर्णय लेते हैं, तो आप देखेंगे कि कोई भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता, यह परम्परा अब पूरी दुनिया में है, लेकिन साथ ही आपके सामने बेईमानी भी आपको पीछे ढकेलना चाहेगी, यदि ऐसा हुआ और आपके पथ में बेईमानी रोड़े अटकाती है, तो आप को मजबूती से खड़े रहना होगा और बेईमानी के ख़िलाफ़ लड़ना होगा”।
अनु कहती हैं “हमारी टीम के स्वर्ण पदक जीतने के बाद मुझे जो हर्षित अनुभूति होती थी, वह अवर्णनीय है,जब भी ऐसा पल आया, मुझे बहुत खुशी हुई। कोरोना काल में 2020 में हमारे खिलाड़ियों पर मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत दुष्प्रभाव पड़ा, लेकिन ऐसे विषम और नुकसानदेह समय में भी मैंने अपनी फिटनेस बनाए रखी, ताकि मैं पहले जैसे ही किसी भी प्रतियोगिता में शामिल होकर अपनी भारतीय रेल और भारत देश के लिये खेल सकूँ। इसी क्रम में मैं 2022 में आयोजित एबीसी कप थाईलैंड का जिक्र करना चाहूँगी,जहाँ हमारी टीम को रजत पदक प्राप्त हुआ था”।
प्रस्तुति~रवि प्रताप सिंह