हाइलाकांदी, 17 मई: असम के हाइलाकांदी जिले में 140 करोड़ की लागत से शुरू की गई बहु-ग्रामीण जल परियोजना बीते दस वर्षों में भी पूरी नहीं हो पाई है। इस देरी ने अल्गापुर और हाइलाकांदी विधानसभा क्षेत्रों के लाखों लोगों को अब तक स्वच्छ पेयजल से वंचित रखा है।
यह महत्वाकांक्षी परियोजना “निल निर्मल जल आपूर्ति योजना” के तहत 7 अक्टूबर 2015 को शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य 14 ग्राम पंचायतों के 75 गांवों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना था। लेकिन आज भी इन क्षेत्रों के निवासी जल संकट से जूझ रहे हैं।
हैरानी की बात यह है कि लोक स्वास्थ्य तकनीकी विभाग ने कई घरों से पाइप कनेक्शन के नाम पर 450 टका की वसूली की, लेकिन अब तक उन्हें एक बूंद पानी तक नसीब नहीं हुआ।
जनता के सवाल, जवाबदेही गायब
स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है। अल्गापुर के कई गांवों में जल संकट चरम पर है। महिलाओं को कई किलोमीटर दूर से पानी ढोना पड़ता है।
कंपनी पर नाराजगी, काली सूची में डालने की मांग
इस परियोजना को लागू करने की जिम्मेदारी बेली नामक एक निजी कंपनी को सौंपी गई थी। लेकिन एक दशक बीत जाने के बाद भी काम अधूरा है। स्थानीय लोग अब इस कंपनी को ‘ब्लैकलिस्ट’ करने की मांग कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों की पीड़ा
स्थानीय निवासी कहते हैं, “हमने सरकार पर भरोसा किया, पैसे भी दिए, लेकिन आज भी हमें गंदा पानी पीने को मजबूर किया जा रहा है। यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है।”
अब सवाल यह है:
- 140 करोड़ की परियोजना का हिसाब कौन देगा?
- जिम्मेदार अधिकारियों और कंपनी पर कार्रवाई कब होगी?
- क्या आने वाले समय में लोगों को स्वच्छ पेयजल मिलेगा या यह सपना ही बना रहेगा?





















