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स्वाधीनता प्राप्ति के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मीडिया जगत में भी प्रवेश किया। इसके अन्तर्गत राष्ट्रधर्म मासिक, पांचजन्य तथा आर्गनाइजर साप्ताहिक जैसे पत्र शुरू हुए। समाचार संकलन तथा उन्हें देश भर में भेजने के लिए ‘हिन्दुस्थान समाचार’ नामक समाचार एजेंसी की स्थापना भी की गयी। कुछ ही समय में उसने देश की प्रमुख चार एजेंसियों में स्थान बना लिया।
पर ‘हिन्दुस्थान समाचार’ का काम कांग्रेस की आंखों में चुभता था, चूंकि वह उसकी पिछलग्गू नहीं थी। उसका उद्देश्य राष्ट्रवादी, निष्पक्ष और सत्य पत्रकारिता था। इसलिए जब इंदिरा गांधी ने 1975 में देश में आपातकाल लगाया, तो स्वतंत्र मीडिया का गला घोटते हुए चारों समाचार एजेंसियों को मिलाकर एक कर दिया और उसे चलाने के लिए अपने पिट्ठू पत्रकार बैठा दिये।
आपातकाल के बाद सब एजेंसियां बहाल हो गयीं; पर ‘हिन्दुस्थान समाचार’ फिर खड़ी नहीं हो सकी। चूंकि उसके सब संसाधन डूब चुके थे। धनाभाव में सब कर्मचारी भी चले गये थे। संस्था ने सरकार पर मुकदमा दायर किया; पर उसके लिए भी पैसे चाहिए थे। अतः जैसे-तैसे कुछ साधन जुटाकर 24 अपै्रल, 2002 को हरियाणा प्रांत संघचालक श्री दर्शन लाल जैन के द्वारा संस्था की हिन्दी और मराठी समाचार सेवा का उद्घाटन किया गया।
दिल्ली में इसका केन्द्र लुधियाना के राज्यसभा सांसद श्री लाजपतराय का सरकारी आवास (32, राजेन्द्र प्रसाद रोड) था। मुंबई में नरीमन रोड स्थित भारतीय मजदूर संघ कार्यालय (हाशिम बिल्डिंग) के एक हिस्से में कार्यालय बनाया गया। इस प्रकार ‘हिन्दुस्थान समाचार सहकारी समिति’ के नाम से संस्था पुनर्जीवित हुई और प्रतिदिन संवाद संकलन तथा प्रेषण शुरू हो गया।
संस्था की वेबसाइट (www.hindusthansamachar.com) निर्माण का प्रसंग बहुत रोचक है। तब संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्रीकांत जोशी अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख के नाते ‘हिन्दुस्थान समाचार’ की देखरेख भी करते थे। एक बार पुणे में गोविंद सोवले नामक कार्यकर्ता से उनकी भेंट हुई। वे साॅफ्टवेयर इंजीनियर थे। वेबसाइट के बारे में बात होने पर उन्होंने अपना कंप्यूटर देखकर बताया कि ‘हिन्दुस्थान समाचार’ नामक वेबसाइट पहले ही पंजीकृत है, यद्यपि उस पर सामग्री कुछ नहीं है। ऐसे में किसी और नाम से पंजीयन कराना होगा।
कुछ दिन बाद श्रीकांत जी फिर पुणे गये। इस दौरान गोविंद जी ने कई बार जांच की; पर ‘हिन्दुस्थान समाचार’ नामक वेबसाइट का पंजीयन बना ही हुआ था। एक रात श्रीकांत जी भोजन के लिए उनके घर गये। वहां जब किसी और नाम से पंजीयन करने के लिए उन्होंने कम्प्यूटर खोला, तो देखा कि ‘हिन्दुस्थान समाचार’ वेबसाइट का पंजीकरण निरस्त हो गया है। गोविंद जी ने अपने खाते से तुरंत आॅनलाइन 15 डाॅलर की राशि जमा कर इसे पंजीकृत करा लिया। इस प्रकार वेबसाइट अस्तित्व में आ गयी।
इसके कुछ साल बाद दिसम्बर 2005 में गांधीनगर के प्रेक्षाध्यान संकुल में विश्व संघ शिविर का आयोजन किया गया। 32 देशों से 500 स्वयंसेवक और सेविकाएं वहां आये थे। श्रीकांत जी का परिचय वहां बंगलुरू के भारत माता मंदिर आश्रम के रंगनाथस्वामी से हुआ। ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के बारे में चर्चा होने पर उन्होंने बताया कि वे ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के नागपुर, हैदराबाद, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई केन्द्र के प्रमुख रह चुके हैं। उन्होंने कई साल तक निजी स्तर पर इस नाम से एक वेबसाइट चलाई थी; पर उसका शुल्क भरने में कुछ देरी होने से किसी और ने उसे पंजीकृत करा लिया।
श्रीकांत जी ने हंसते हुए कहा कि उसे हमने ही पंजीकृत कराया है और अब पांच भाषा में दस स्थानों से इसका काम चल रहा है। वेबसाइट के अपने मूल स्थान पर पहुंचने की बात जानकर स्वामी जी बहुत प्रसन्न हुए।





















