क्या चीन का जैविक हथियार है कोरोना वायरस? 2015 से कर रहा था शोध
बीजिंग। Updated Sun, 9 May 2021
कोरोना वायरस को लेकर चीन शुरू से ही शक के घेरे में है। हालांकि इसके पहले तक किसी स्रोत से इस वायरस के जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल की बात सामने नहीं आई थी।
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन साल 2015 से ही कोरोना वायरस पर शोध कर रहा था। सिर्फ यही नहीं चीन की मंशा इसे जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की थी।
कोरोना वायरस को लेकर चीन शुरू से ही शक के घेरे में है। हालांकि इसके पहले तक किसी स्रोत से इस वायरस के जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल की बात सामने नहीं आई थी। ‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ ने अपनी रिपोर्ट में चीन को लेकर यह खुलासा किया है। रिपोर्ट में चीन के एक रिसर्च पेपर को आधार बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि चीन छह साल पहले से यानी 2015 से सार्स वायरस की मदद से जैविक हथियार बनाने की कोशिश कर रहा था। चीन की सेना 2015 से ही कोविड-19 वायरस को जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की साजिश रच रही थी।
तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जाएगा
शोध पत्र ‘सार्स और जैविक हथियार के रूप में मानव निर्मित अन्य वायरसों की प्रजातियों की अप्राकृतिक उत्पत्ति’ में दावा किया गया है कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जाएगा। इस दस्तावेज में यह भी रस्योद्घाटन किया गया है कि चीनी सैन्य वैज्ञानिक पांच साल पहले ही सार्स कोरोना वायरस का हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बारे में विचार कर चुके थे। ‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ की यह रिपोर्ट news.com.au. में प्रकाशित की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सैन्य वैज्ञानिकों ने इस बात पर भी चर्चा की थी कि सार्स वायरस में हेरफेर करके इसे महामारी के तौर पर कैसे बदला जा सकता है।
लगभग सबूत जैसा है यह शोध पत्र: पीटर जेनिंग्स
ऑस्ट्रेलियन’ स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एएसपीआई) के कार्यकारी निदेशक पीटर जेनिंग्स ने न्यूज डॉटकॉम डॉट एयू से चर्चा में कहा कि यह शोध पत्र एक तरह से पक्के सबूत जैसा है। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से जाहिर करता है कि चीनी वैज्ञानिक कोरोना वायरस के विभिन्न स्टेनों के सैन्य इस्तेमाल के बारे में सोच रहे थे। वे यह भी सोच रहे थे कि इसका कैसे फैलाया जा सकता है।
चमगादड़ से नहीं फैल सकता वायरस
रिपोर्ट में इस बात पर भी सवाल उठाया गया है कि जब भी वायरस की जांच करने की बात आती है तो चीन पीछे हट जाता है। ऑस्ट्रेलियाई साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रॉबर्ट पॉटर ने कहा कि कोरोना वायरस किसी चमगादड़ के मार्केट से नहीं फैल सकता। यह कहानी पूरी गलत है। चीनी शोध पत्र के अध्ययन के बाद उन्होंने कहा कि वह रिसर्च पेपर बिल्कुल सही है।
चीन की जांच में रुचि क्यों नहीं?
जेनिंग्स ने यह भी कहा कि यह शोध यह भी स्पष्ट करता है कि चीन कोविड-19 की उत्पत्ति की बाहरी एजेंसियों से जांच में रुचि क्यों नहीं है। यदि यह किसी बाजार से फैलने का मामला होता तो चीन जांच में सहयोग करता।
बता दें कि चीन के वुहान में कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए गए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अब तक कोई ठोस रिपोर्ट पेश नहीं की है। पश्चिम देशों ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ के रवैए पर भी सवाल उठाए हैं।
ट्रंप ने साफतौर पर कहा था-चीनी वायरस
पिछले साल तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कई बार सार्वजनिक तौर पर कोरोना को ‘चीनी वायरस’ करार दिया था। ट्रंप ने कहा था-यह चीन की लैब में तैयार किया गया और इसकी वजह से दुनिया का हेल्थ सेक्टर तबाह हो रहा है। कई देशों की इकोनॉमी इसे संभाल नहीं पाएंगी। उन्होंने यहां तक कहा था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास इसके सबूत हैं और वक्त आने पर ये दुनिया के सामने रखेंगे।
बता दें, कोविड-19 महामारी कोरोना वायरस यानी ‘सार्स कोव-2’ दिसंबर 2019 में चीन के वुहान से फैलना शुरू हुई थी। कोरोना वायरस वायरस का बड़ा समूह या परिवार है। ये मनुष्य में सामान्य सर्दी खांसी से लेकर गंभीर श्वसन रोग यानी सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) तक पैदा करते हैं। संक्रमण बहुत ज्यादा फैलने पर मरीज की मौत हो जाती है।
अब तक 15 करोड़ संक्रमित, 32 लाख मौतें
विश्व में अब तक कोविड-19 से 15.70 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 32.80 लाख मौतें हो चुकी हैं। रोज दुनियाभर में मामले बढ़ते जा रहे हैं। रविवार को दुनिया में 7.83 लाख नए केस आए। इस दौरान 13,022 लोगों की मौत हुई।
भारत व ब्राजील में कहर
कोरोना का कहर सबसे ज्यादा भारत और ब्राजील में देखा जा रहा है। शनिवार को दुनिया में हुई कुल मौतों के 47 प्रतिशत मामले भारत और ब्राजील में रिकॉर्ड किए गए। भारत में 4,133 और ब्राजील में 2,091 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो गई।