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अतिशय विकास अर्थात सर्वनाश अंक-२ –आनंद शास्त्री

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मित्रों ! एक अत्यंत ही मर्मस्पर्शी कथा आपके लिये लेकर आया हूँ ! लगभग पन्द्रह वर्ष पूर्व कानपुर की ये सत्य घटना है ! वहाँ अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान के लिये आवश्यक कुछ वस्तुओं को लेने मैं गया था ! कुछ जल्दी पहुंचने के कारण प्रतिष्ठान बन्द था वहाँ टहलते हुए पास की एक कालोनी तक पहुंचकर वहाँ स्थित एक चाय की दुकान पर जाकर बैठ गया।
तभी वहां दो एम्बुलेंस आती हैं ! जिसमें एक से एक युवा स्त्री का मृत शरीर उतारा जाता है ! और दूसरी में कालोनी से स्ट्रेचर में लाकर एक व्यक्ति को रखते हैं ! दुःखी स्वर में मैं बोला उफ्फ्फ संसार में कितना सारा कष्ट है ! इतनी सी आयु में क्या हुवा होगा बिचारों को ? और चायवाले ने ठंडी सांस लेते हुए कहा-“कैंसर”
मैंने कहा दोनों को ? वो बोला हाँ चाचा ! इस कालोनी के चालीस प्रतिशत से भी अधिक लोगों को कैंसर है ! मैं आश्चर्यचकित होकर बोला वो कैसे ? तो उसने कहा एक लम्बी कहानी है ! मैं बताता हूँ आपको ! ये कालोनी जब बनी थी तो एक सब्जी वाला आता था ! बहुत ही भला लडका था ! सब उसी से सब्जी लेते थे ! एक दिन की बात है यहाँ की एक दबंग महिला ने उससे सब्जी ली और दूसरे दिन उसपर उसके पर्स की चोरी का आरोप लगा दिया ! पुलिस आयी कालोनी के सभी लोगों ने उसी महिला का साथ दिया ! पुलिस वालों ने उसे बहुत पीटा ! ले गये ! केस चला और आठ साल की सजा हुयी उसे।
जेल से छूटने के बाद उस व्यक्ति ने नगर के समीप उसकी अपनी छोटी-सी कछुवाई में सब्जियों की खेती-बारी प्रारम्भ कर दी ! अत्यंत ही उच्चतम स्तर की जहरीली रासायनिक खाद एवं जहरीले से जहरीले कीटनाशकों एवं जहरीले रसायनों के द्वारा हाइब्रिड,चमकीली,बडी-बडी गोभियाँ, लौकी,परवल, करैले, टमाटर,बैगन,शलजम,ग्वार,पत्ता गोभी,पालक,मेथी, धनियां, हरीमिर्च आदि उगाने लगा ! उसकी सब्जियां अत्यंत ही सुन्दर दिखतीं ! उसने एक ठेला खरीदा ! जेल में इतने वर्षों तक रहने के बाद उसका रंग-रूप भी बदल चुका था ! अब वो वही सब्जियां लाकर उनपर और भी जहरीले रसायन मिश्रित जल के बार-बार छींटे देकर उसी कालोनी के बाहर बेचने लगा ! बाजार से बीस प्रतिशत तक सस्ते मूल्य पर बेचने लगा।
मित्रों ! लालची लोगों के गांव धूतारे भूखे नहीं रहते ! मानों कालोनी वालों की लाटरी लग गयी ! सब उसी से सब्जी खरीदते ! और अधिक खरीदते ! अपने रिश्तेदारों को भी भेजते ! धीमे जहर से भरी उन सब्जियों के कारण धीरे-धीरे उस कालोनी और उनके रिश्तेदारों के बीच- “कैंसर” फैलने लगा ! लगभग चार वर्षों में वहाँ की चालीस प्रतिशत बस्ती कैंसर से पीड़ित हो गयी ! बाद में उस व्यक्ति ने अचानक एक दिन उस कालोनी में इस षड्यंत्र को अपना प्रतिशोध बताते हुवे एक पत्र भेजकर वो हमेशा हमेशा के लिये गायब हो गया।
मित्रों ! ये तो उसका सुनियोजित षडयंत्र था ! किन्तु आज हमारे नगर,ग्रामीण क्षेत्रों में,गली गली में इसी प्रकार की जहरीली सब्जियों को बेचा जा रहा है ! आप इन सब्जी विक्रेताओं के पास देखना ! लगभग सभी के पास बाल्टी अथवा पानी की बोतलों में हल्का मटमैला पानी होता है जिसे बार-बार वो छिड़कते रहते हैं ! बाल्टी में रसायन और नाना प्रकार के रंग डालकर सब्जी उससे धोते हैं ! ये सब्जियां घर लाने पर रात भर में मुर्झा जाती हैं ! कोई स्वाद भी इनमें नहीं होता ! शिलांग से आती सब्जी और भी खतरनाक हो चुकी।
मित्रों आप देखें आज पिछले चार से पांच वर्षों में हमारे नगर में कैंसर,ह्रदय रोग,किडनी-लीवर,स्वांस से सम्बंधित व्याधियों से सत्तर प्रतिशत से भी अधिक जनता पीडित है ! यही स्थिति समूचे देश की है,मैं मानता हूँ कि हमें सचेत होने की आवश्यकता है ! सब्जियों का बहिष्कार हम नहीं कर सकते ! यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि आर्गेनिक अर्थात तथाकथित कम्पोस्ट खाद से उगायी गयीं सब्जियों के नामपर लगभग छे से आठ गुने अधिक मूल्य पर जो सब्जियां बिकती हैं उनकी भी वास्तविकता जानने की आवश्यकता है ! मैं पहले बाजार से छोटी छोटी लौकी,करैले छोटी भिंडी लाता था ! मैंने सुना था कि इंजेक्शन देकर हथेली भर की लौकी को रातभर में देढ फूट की बनाया जाता है ! किन्तु बाद में मेरे एक परिचित शिष्य जिसकी मंडी में सब्जियों का थोक का काम है उसने बताया कि अब ये लोग लोकी को तीन-चार इंच का होते ही इंजेक्शन दे देते हैं अर्थात अब वो रात भर में एक बित्ते की हो जाती है और आर्गेनिक लौकी के नामपर चार-गुने मूल्य पर बिकती है।
चंद सिक्कों के लिये समूचे राष्ट्र को मर्मान्तक व्याधियों के नर्क में ढकेलने का ये खेल प्रत्येक स्तर पर खेला जाता है ! चावल,दाल, गेहूं,आलू,फल इत्यादि में जितने रसायनों,यूरिया, डीएपी और कीटनाशकों का उपयोग होता है उनसे इनकी उर्वरकता बढती जा रही है ! ये और भी मारक होते जा रहे हैं ! यदि इनकी वास्तविकता देखी जाये तो निश्चित रूप से विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाले राष्ट्र की जनसंख्या नियंत्रण न कर पाने के कारण हुयी विभीषिका है ! समुदाय विशेष को येन केन प्रकारेण अपनी जनसंख्या बढानी है ! उनकी इस घटिया सोच का परिणाम समूचे राष्ट्र को जनसंख्या विस्फोट के कारण उत्पन्न हुवे जहरीले खाद्यान्नों के सेवन कर अपने-आप को असामयिक असह्य पीडादायक मृत्यु के गाल में समाते जाते देखने को अभिशप्त है–आगामी अंक के साथ पुनश्च उपस्थित होता हूँ  …-आनंद शास्त्री….सचल दूरभाष क्रमांक ६९०१३७५९७१

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