92 Views
प्रे.स. शिलचर, 2 दिसंबर: हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी शिलचर अन्नपूर्णा मंदिर में अन्नपूर्णा देवी की व्रतकथा एवं महोत्सव शनिवार सायं ४ बजे से रात्रि ८ बजे तक आयोजित होगी। रामायण में भगवान राम, महाभारत में श्रीं कृष्ण जी के उपदेश पर युधिष्ठिर और फिर प्रागज्योतिषपुर असम में काशी के ब्राह्मण धनंजय द्वारा देवी अन्नपूर्णा का रहस्यमय रुप से प्रादुर्भूत की कथा और संसार को धनंजय के माध्यम से उपदेश दिया।
देवी अन्नपूर्णा जी की वाराणसी में भगवान् विश्वेश्वर के दक्षिण में प्रतिष्ठा आदि भविष्य पुराण के अन्तर्गत कथा का श्रवण करें और हमारे अपने नित्य जीवनचर्या में अन्न का महत्व,जीवन में श्रृंखलित होकर जिने के अभ्यास । भारत वर्तमान में हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता, हिन्दू चेतना और हिन्दू समाज में पतन से उत्थान के उपाय पर पं आनंद द्विवेदी जी के मुखारविंद से शास्त्रीय तथा प्रासंगिक विवेचना। अन्नपूर्णा मंदिर के पुनः निर्माण का संभावित दिन घोषणा।
महोत्सव के दौरान देवी अन्नपूर्णा के गर्भगृह को धान के द्वारा सजाया जाता है , विभिन्न ( बिना नमक के) पकवान (मीठा प्रसाद स्वरूप) पुजा घर के अन्नक्षेत्र रसोई घर में तैयार किया जाता है । उपर्युक्त दिन सायं काल में देवी अन्नपूर्णा देवी जी की शास्त्रीय विधि से पूजन किया जाता है, हवन के पश्चात् आरती एवं आरती के तुरंत बाद कथा प्रारम्भ किया जाता है। कथा लगभग २ से ढाई घंटे तक होती है। तत्पश्चात् सभी भक्तगण को प्रसाद वितरित किए जाते हैं। पिछले लगभग एक शताब्दी से यह अनुष्ठान सामुहिक रूप से मन्दिर में हर साल आयोजित होती चली आ रही है। भक्तगण तथा नगरवासी सभी महोत्सव में सम्मिलित हो अपने जीवन को कृतार्थ करें । मंदिर पक्ष की ओर से मंदिर के मुख्य पुजारी तथा संचालक आनन्द द्विवेदी ने सभी सनातनी को हृदय से आह्वान किया है, महोत्सव के दिन अवश्य पधारें।





















